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अतो॑ न॒ आ नॄनति॑थी॒नतः॒ पत्नी॑र्दशस्यत। आ॒रे विश्वं॑ पथे॒ष्ठां द्वि॒षो यु॑योतु॒ यूयु॑विः ॥३॥

English Transliteration

ato na ā nṝn atithīn ataḥ patnīr daśasyata | āre viśvam patheṣṭhāṁ dviṣo yuyotu yūyuviḥ ||

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Pad Path

अतः॑। नः॒। आ। नॄन्। अति॑थीन्। अतः॑। पत्नीः॑। द॒श॒स्य॒त॒। आ॒रे। विश्व॑म्। प॒थे॒ऽस्थाम्। द्वि॒षः। यु॒यो॒तु॒। यूयु॑विः ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:50» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:3» Varga:4» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:4» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यों को किस का सत्कार करना और क्या प्राप्त करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (अतः) इस कारण से (नः) हम लोगों और (नॄन्) अधर्म्म से अलग कर धर्म्म के मार्ग को चलानेवाले (अतिथीन्) जिनके आगमन की तिथि नियत नहीं उनको (अतः) इसके अनन्तर (पत्नीः) स्त्रियों को (आ) सब प्रकार से (दशस्यत) प्रबल करिये और (विश्वम्) सम्पूर्ण जन को तथा (पथेष्ठाम्) जो धर्म्मयुक्त पथ में स्थित हो उसको (आरे) समीप में प्रबल करिये और (यूयुविः) विभाग करनेवाला (द्विषः) द्वेष्टा जनों को दूर में (युयोतु) विशेष करके विभक्त करें ॥३॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि धार्मिक अतिथियों की उत्तम प्रकार सेवा कर मिल के विवेक को प्राप्त होकर द्वेष आदि दोषों को दूर करें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मनुष्यैः किं सत्कर्त्तव्यं किं प्राप्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! अतो नो नॄनतिथीनतोऽनन्तरं पत्नीरा दशस्यत। विश्वं पथेष्ठां जनमारे दशस्यत यूयुविर्द्विष आरे युयोतु ॥३॥

Word-Meaning: - (अतः) कारणात् (नः) अस्मान् (आ) समन्तात् (नॄन्) अधर्माद्वियोज्य धर्म्मपथं गमयितॄन् (अतिथीन्) अनियततिथीन् (अतः) (पत्नीः) (दशस्यत) बलयत (आरे) (विश्वम्) सर्वञ्जनम् (पथेष्ठाम्) यो धर्मे पथि तिष्ठति तम् (द्विषः) द्वेष्ट्रीन् (युयोतु) वियोजयतु (यूयुविः) विभागकर्त्ता ॥३॥
Connotation: - मनुष्यैर्धार्म्मिकानतिथीन्त्संसेव्य सङ्गत्य विवेकम्प्राप्य द्वेषादिदोषा आरे प्रक्षेपणीयाः ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी धार्मिक अतिथींची उत्तम प्रकारे सेवा करून त्यांच्या सहवासात राहून विवेकाने द्वेष इत्यादी दोष दूर करावेत. ॥ ३ ॥