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दमू॑नसो अ॒पसो॒ ये सु॒हस्ता॒ वृष्णः॒ पत्नी॑र्न॒द्यो॑ विभ्वत॒ष्टाः। सर॑स्वती बृहद्दि॒वोत रा॒का द॑श॒स्यन्ती॑र्वरिवस्यन्तु शु॒भ्राः ॥१२॥

English Transliteration

damūnaso apaso ye suhastā vṛṣṇaḥ patnīr nadyo vibhvataṣṭāḥ | sarasvatī bṛhaddivota rākā daśasyantīr varivasyantu śubhrāḥ ||

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Pad Path

दमू॑नसः। अ॒पसः॑। ये। सु॒ऽहस्ताः॑। वृष्णः॑। पत्नीः॑। न॒द्यः॑। वि॒भ्व॒ऽत॒ष्टाः। सर॑स्वती। बृ॒ह॒त्ऽदि॒वा। उ॒त। रा॒का। द॒श॒स्यन्तीः॑। व॒रि॒व॒स्य॒न्तु॒। शु॒भ्राः ॥१२॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:42» Mantra:12 | Ashtak:4» Adhyay:2» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:5» Anuvak:3» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वत्कर्त्तव्यशिक्षविषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (ये) जो (अपसः) उत्तम कर्म्म करने (दमूनसः) देने (सुहस्ताः) और उत्तम कर्म्मों में हाथ लगानेवाले (वृष्णः) पराक्रम से युक्त और (विभ्वतष्टाः) व्यापक ईश्वर से रचे गये जन (नद्यः) नदियों के सदृश (उत) और (बृहद्दिवा) बड़ा विद्या का प्रकाश जिसमें ऐसी (राका) सुख को देनेवाली (सरस्वती) विज्ञानयुक्त वाणी के सदृश (दशस्यन्तीः) अभीष्ट मनोरथ-मनोरथ को देती हुई और (शुभ्राः) सुन्दर स्वरूप तथा उत्तम आचरण करनेवाली (पत्नीः) विवाहित स्त्रियों का (वरिवस्यन्तु) सेवन करें, वे अत्यन्त सुख को प्राप्त होवें ॥१२॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। कन्या और वर जब ब्रह्मचर्य्य से विद्यायें पूर्ण, युवावस्था और परस्पर की परीक्षा होवे, तब स्वयंवर विवाह से पति और पत्नी होकर सौभाग्यवान् होते हैं ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वत्कर्त्तव्यशिक्षाविषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! येऽपसो दमूनसः सुहस्ता वृष्णो विभ्वतष्टा नद्य इव उत बृहद्दिवा राका सरस्वतीव दशस्यन्तीः शुभ्राः पत्नीर्वरिवस्यन्तु तेऽतुलं सुखमाप्नुवन्तु ॥१२॥

Word-Meaning: - (दमूनसः) दान्ताः (अपसः) सुकर्म्माणः (ये) (सुहस्ताः) शोभनेषु कर्म्मसु येषान्ते (वृष्णः) वीर्यवन्तः (पत्नीः) भार्याः (नद्यः) नद्य इव (विभ्वतष्टाः) विभुनेश्वरेण निर्मिताः (सरस्वती) विज्ञानवती वाक् (बृहद्दिवा) बृहती द्यौर्विद्याप्रकाशो यस्यां सा (उत) (राका) राति ददाति सुखं या सा। राकेति पदनामसु पठितम्। (निघं०५.५) (दशस्यन्तीः) इष्टान् कामान् कामान् ददति (वरिवस्यन्तु) सेवन्ताम् (शुभ्राः) शुद्धस्वरूपाचाराः ॥१२॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। कन्या वराश्च यदा ब्रह्मचर्य्येण विद्याः पूर्णा युवावस्था च परस्परस्य परीक्षा च भवेत्तदा स्वयंवरेण विवाहेन पतिपत्न्यौ भूत्वा सौभाग्यवन्तो भवन्तु ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. कन्या व वर जेव्हा ब्रह्मचर्यपूर्वक विद्या शिकून युवावस्थेत परस्पर परीक्षा करतात तेव्हा स्वयंवर विवाह करून पती -पत्नी बनून सौभाग्यवान बनतात. ॥ १२ ॥