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अ॒भ्य॑व॒स्थाः प्र जा॑यन्ते॒ प्र व॒व्रेर्व॒व्रिश्चि॑केत। उ॒पस्थे॑ मा॒तुर्वि च॑ष्टे ॥१॥

English Transliteration

abhy avasthāḥ pra jāyante pra vavrer vavriś ciketa | upasthe mātur vi caṣṭe ||

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Pad Path

अ॒भि। अ॒व॒ऽस्थाः। प्र। जा॒य॒न्ते॒। प्र। व॒व्रेः। व॒व्रिः। चि॒के॒त॒। उ॒पऽस्थे॑। मा॒तुः। वि। च॒ष्टे॒ ॥१॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:19» Mantra:1 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पाँच ऋचावाले उन्नीसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में विद्वानों के सिद्ध करने योग्य उपदेश विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! (वव्रेः) स्वीकार करनेवाले की जो (अवस्थाः) विरुद्ध वर्त्ताव को प्राप्त होते हैं, जिनमें ऐसी वर्त्तमान दशायें (प्र, जायन्ते) उत्पन्न होती हैं, उनका (वव्रिः) स्वीकार करनेवाला (अभि) सन्मुख (प्र, चिकेत) विशेष करके जाने और (मातुः) माता के (उपस्थे) समीप में (वि, चष्टे) प्रसिद्ध होता है, इनको आप भी जानिये ॥१॥
Connotation: - ऐसा नहीं कोई भी प्राणी है कि जिसकी उत्तम, मध्यम और अधम दशायें न होवें और जो माता पिता और आचार्य से शिक्षित है, वही अपनी दशाओं को सुधार सकता है ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वत्साध्योपदेशविषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! वव्रेर्या अवस्थाः प्र जायन्ते ता वव्रिरभि प्र चिकेत मातुरुपस्थे वि चष्ट एता त्वमपि जानीहि ॥१॥

Word-Meaning: - (अभि) आभिमुख्ये (अवस्थाः) अवतिष्ठन्ति विरुद्धं प्राप्नुवन्ति यासु ता वर्त्तमाना दशाः (प्र) (जायन्ते) उत्पद्यन्ते (प्र) (वव्रेः) स्वीकर्त्तुः (वव्रिः) अङ्गीकर्त्ता (चिकेत) विजानीयात् (उपस्थे) समीपे (मातुः) जनन्याः (वि) (चष्टे) विख्यायते ॥१॥
Connotation: - न कोऽपि प्राण्यस्ति यस्योत्तममध्यमाऽधमा अवस्था न जायेरन् यश्च मात्रा पित्राऽऽचार्य्येण शिक्षितोऽस्ति स एव स्वकीया अवस्थाः शोधयितुं शक्नोति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वानांनी सिद्ध करण्यायोग्य उपदेशाचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - असा कोणताही प्राणी नाही त्याची उत्तम, मध्यम व अधम दशा नसते. जो माता, पिता व आचार्याकडून शिक्षण घेतो तोच आपली दशा सुधारू शकतो. ॥ १ ॥