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अ॒स्य स्तोमे॑ म॒घोनः॑ स॒ख्ये वृ॒द्धशो॑चिषः। विश्वा॒ यस्मि॑न्तुवि॒ष्वणि॒ सम॒र्ये शुष्म॑माद॒धुः ॥३॥

English Transliteration

asya stome maghonaḥ sakhye vṛddhaśociṣaḥ | viśvā yasmin tuviṣvaṇi sam arye śuṣmam ādadhuḥ ||

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Pad Path

अ॒स्य। स्तोमे॑। म॒घोनः॑। स॒ख्ये। वृ॒द्धऽशो॑चिषः। विश्वा॑। यस्मि॑न्। तु॒वि॒ऽस्वनि॑। सम्। अ॒र्ये। शुष्म॑म्। आ॒ऽद॒धुः ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:16» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:8» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब संग्रामविजयविषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जो मनुष्य (अस्य) इस (वृद्धशोचिषः) वृद्ध अर्थात् बढ़ी हुई कान्ति जिसकी ऐसे (मघोनः) बहुत धन से युक्त पुरुष की (स्तोमे) प्रशंसा में और (सख्ये) मित्रपन वा मित्र के कार्य्य के लिये (यस्मिन्) जिस (तुविष्वणि) बलसेवन तथा (सम्, अर्य्ये) अच्छे प्रकार स्वामी वा वैश्य में (शुष्मम्) बल को (आदधुः) सब प्रकार धारण करें, वे (विश्वा) सम्पूर्ण सुखों को प्राप्त होवें ॥३॥
Connotation: - जो मित्र होकर शरीर और आत्मा के बल को धारण करके प्रयत्न करते हैं, वे सङ्ग्रामादिकों में विजय को प्राप्त होकर प्रशंसित लक्ष्मीवान् होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ सङ्ग्रामविजयविषयमाह ॥

Anvay:

ये मनुष्या अस्य वृद्धशोचिषो मघोनः स्तोमे सख्ये यस्मिन् तुविष्वणि समर्य्ये शुष्ममादधुस्ते विश्वा सुखानि प्राप्नुयुः ॥३॥

Word-Meaning: - (अस्य) (स्तोमे) प्रशंसायाम् (मघोनः) बहुधनयुक्तस्य (सख्ये) सख्युर्भावाय कर्मणे वा (वृद्धशोचिषः) वृद्धा शोचिर्दीप्तिर्यस्य सः (विश्वा) सर्वाणि (यस्मिन्) (तुविष्वणि) बलसेवने (सम्) सम्यक् (अर्य्ये) स्वामिनि वैश्ये वा (शुष्मम्) बलम् (आदधुः) समन्ताद्धरन्तु ॥३॥
Connotation: - ये सखायो भूत्वा शरीरात्मबलं धृत्वा प्रयतन्ते ते सङ्ग्रामादिषु विजयं प्राप्य प्रशंसितश्रियो जायन्ते ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे मित्र बनून शरीर व आत्म्याचे बल धारण करण्याचा प्रयत्न करतात ते युद्धात विजय प्राप्त करून प्रशंसित होऊन श्रीमंत होतात. ॥ ३ ॥