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स॒मु॒द्रादू॒र्मिर्मधु॑माँ॒ उदा॑र॒दुपां॒शुना॒ सम॑मृत॒त्वमा॑नट्। घृ॒तस्य॒ नाम॒ गुह्यं॒ यदस्ति॑ जि॒ह्वा दे॒वाना॑म॒मृत॑स्य॒ नाभिः॑ ॥१॥

English Transliteration

samudrād ūrmir madhumām̐ ud ārad upāṁśunā sam amṛtatvam ānaṭ | ghṛtasya nāma guhyaṁ yad asti jihvā devānām amṛtasya nābhiḥ ||

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Pad Path

स॒मु॒द्रात्। ऊ॒र्मिः। मधु॑ऽमान्। उत्। आ॒र॒त्। उप॑। अं॒शुना॑। सम्। अ॒मृ॒त॒ऽत्वम्। आ॒न॒ट्। घृ॒तस्य॑। नाम॑। गुह्य॑म्। यत्। अस्ति॑। जि॒ह्वा। दे॒वाना॑म्। अ॒मृत॑स्य। नाभिः॑ ॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:58» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:8» Varga:10» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब ग्यारह ऋचावाले अट्ठावनवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में उदकविषय को कहते हैं ॥१॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (अंशुना) सूर्य से (समुद्रात्) अन्तरिक्ष से (मधुमान्) मधुरगुणयुक्त (ऊर्मिः) जल का समूह (उप, उत्, आरत्) उत्तमता से प्राप्त होता और (अमृतत्वम्) अमृतपन को (सम्, आनट्) व्याप्त होता है (यत्) जो (घृतस्य) जल की (गुह्यम्) गुप्त (नाम) संज्ञा (अस्ति) है, वह (अमृतस्य) अमृतात्मक कारण की (नाभिः) नाभि के सदृश और (देवानाम्) विद्वानों वा श्रेष्ठ गुणों की (जिह्वा) जिह्वा के सदृश है, उस विद्या को आप लोग जानो ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! भूमि के समीप से सूर्य्य के प्रताप से वायु के द्वारा जितना जल आकाश में जाता है, वहाँ ईश्वर की सृष्टि के क्रम से मधुर आदि गुणों से युक्त होके और वह वर्ष के अमृतस्वरूप होता है, यह जानो ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथोदकविषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! योंऽशुना समुद्रान्मधुमानूर्मिरुपोदारदमृतत्वं समानट् यद् घृतस्य गुह्यं नामास्ति तदमृतस्य नाभिर्देवानां जिह्वेवास्ति तद्विद्यां यूयं विजानीत ॥१॥

Word-Meaning: - (समुद्रात्) अन्तरिक्षात् (ऊर्मिः) जलसमूहः (मधुमान्) मधुरगुणः (उत्) (आरत्) उत्कृष्टतया प्राप्नोति (उप) (अंशुना) सूर्य्येण (सम्) (अमृतत्वम्) (आनट्) व्याप्नोति (घृतस्य) उदकस्य (नाम) (गुह्यम्) गुप्तम् (यत्) (अस्ति) (जिह्वा) (देवानाम्) विदुषां दिव्यानां गुणानां वा (अमृतस्य) अमृतात्मकस्य कारणस्य (नाभिः) नाभिरिव ॥१॥
Connotation: - हे मनुष्या ! भूमेः सकाशात् सूर्यप्रतापेन वायुद्वारा यावदुदकमन्तरिक्षं गच्छति तत्रेश्वरसृष्टिक्रमेण मधुरादिगुणयुक्तं भूत्वा वर्षित्वाऽमृतात्मकं भवतीति विजानीत ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात जल, मेघ, सूर्य, वाणी, विद्वान व ईश्वराच्या गुणाचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो ! भूमीवरील जल सूर्यामुळे वायूद्वारे आकाशात जाते तेथे ईश्वरी सृष्टिक्रमानुसार मधुर गुणांनी युक्त होऊन अमृतस्वरूप होऊन वृष्टी होते, हे जाणा. ॥ १ ॥