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इ॒दं मे॑ अग्ने॒ किय॑ते पाव॒कामि॑नते गु॒रुं भा॒रं न मन्म॑। बृ॒हद्द॑धाथ धृष॒ता ग॑भी॒रं य॒ह्वं पृ॒ष्ठं प्रय॑सा स॒प्तधा॑तु ॥६॥

English Transliteration

idam me agne kiyate pāvakāminate gurum bhāraṁ na manma | bṛhad dadhātha dhṛṣatā gabhīraṁ yahvam pṛṣṭham prayasā saptadhātu ||

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Pad Path

इ॒दम्। मे॒। अ॒ग्ने॒। किय॑ते। पा॒व॒क॒। अमि॑नते। गु॒रुम्। भा॒रम्। न। मन्म॑। बृ॒हत्। द॒धा॒थ॒। धृ॒ष॒ता। ग॒भी॒रम्। य॒ह्वम्। पृ॒ष्ठम्। प्रय॑सा। स॒प्तऽधा॑तु॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:5» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:2» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अध्यापक विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (पावक) पवित्र करनेवाले (अग्ने) अग्ने के सदृश वर्त्तमान ! आप (कियते) थोड़े सामर्थ्य से युक्त (अमिनते) नहीं हिंसा करनेवाले (मे) मेरे लिये (गुरुम्) बड़े (भारम्) भार के (न) सदृश (मन्म) विज्ञान को तथा (धृषता) ढीठ और (प्रयसा) प्रसन्नता के साथ (इदम्) इस (बृहत्) बढ़ानेवाले (गम्भीरम्) गम्भीर (पृष्ठम्) पूछने योग्य (यह्वम्) बड़े (सप्तधातु) सुवर्ण आदि सातों धातु जिसमें ऐसे धन को (दधाथ) धारण कीजिये ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो अल्पज्ञ और विद्यार्थीजन ज्ञानी विद्वान् के समीप से विज्ञान और धन के साधन की याचना करते हैं, वे विद्वान् होते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाध्यापकविषयमाह ॥

Anvay:

हे पावकाग्ने ! त्वं कियतेऽमिनते मे गुरुं भारं न मन्म धृषता प्रयसेदं बृहद्गभीरं पृष्ठं यह्वं सप्तधातु धनं दधाथ ॥६॥

Word-Meaning: - (इदम्) (मे) मह्यम् (अग्ने) पावकवद्वर्त्तमान (कियते) अल्पसामर्थ्याय (पावक) पवित्रकर (अमिनते) अहिंसकाय (गुरुम्) महान्तम् (भारम्) (न) इव (मन्म) विज्ञानम् (बृहत्) वर्धकम् (दधाथ) धेहि। अत्र वचनव्यत्ययेन बहुवचनम् (धृषता) प्रगल्भेन सह (गभीरम्) (यह्वम्) महत् (पृष्ठम्) प्रच्छनीयम् (प्रयसा) प्रीतेन (सप्तधातु) सुवर्णादयस्सप्तधातवो यस्मिन् ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। येऽल्पज्ञा विद्यार्थिनश्च ज्ञानिनो विदुषः सकाशाद्विज्ञानं धनसाधनं च याचन्ते ते विद्वांसो जायन्ते ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जे अल्पज्ञ व विद्यार्थीजन ज्ञानी विद्वानाकडून विज्ञान व धनाच्या साधनाची याचना करतात ते विद्वान होतात. ॥ ६ ॥