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यु॒वामिद्ध्यव॑से पू॒र्व्याय॒ परि॒ प्रभू॑ती ग॒विषः॑ स्वापी। वृ॒णी॒महे॑ स॒ख्याय॑ प्रि॒याय॒ शूरा॒ मंहि॑ष्ठा पि॒तरे॑व शं॒भू ॥७॥

English Transliteration

yuvām id dhy avase pūrvyāya pari prabhūtī gaviṣaḥ svāpī | vṛṇīmahe sakhyāya priyāya śūrā maṁhiṣṭhā pitareva śambhū ||

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Pad Path

यु॒वाम्। इत्। हि। अव॑से। पू॒र्व्याय॑। परि॑। प्रभू॑ती॒ इति॒ प्रऽभू॑ती। गो॒ऽइषः॑। स्वा॒पी॒ इति॑ सुऽआपी। वृ॒णी॒महे॑। स॒ख्याय॑। प्रि॒याय॑। शूरा॑। मंहि॑ष्ठा। पि॒तरा॑ऽइव। श॒म्भू इति॑ श॒म्ऽभू ॥७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:41» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:7» Varga:16» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:4» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब प्रजा विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे राजा और मन्त्रीजनो ! (युवाम्) तुम दोनों (हि) ही को (पूर्व्याय) पूर्व राजाओं ने किये (अवसे) रक्षण आदि के लिये (इत्) ही (प्रभूती) समर्थ (स्वापी) शयन करते हुए (शूरा) भयरहित और शत्रुओं के नाश करनेवाले (मंहिष्ठा) अत्यन्त सत्कार करने योग्य (पितरेव) जैसे पिता और माता, वैसे (शम्भू) सुख को हुवानेवाले =करनेवाले (प्रियाय) सुन्दर (सख्याय) मित्रपन के लिये (गविषः) गौओं की इच्छा करनेवाले का हम लोग (परि, वृणीमहे) स्वीकार करते हैं, इससे आप दोनों हम लोगों के पालन करनेवाले निरन्तर होवें ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। हे प्रजाजनो ! आप लोग उन्हीं राजा आदिकों को स्वीकार करो कि जो पिता के सदृश सब लोगों के पालन करने को समर्थ होवें ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ प्रजाविषयमाह ॥

Anvay:

हे राजाऽमात्यौ ! युवां हि पूर्व्यायावसे इत्प्रभूती स्वापी शूरा मंहिष्ठा पितरेव शम्भू प्रियाय सख्याय गविषो वयं परि वृणीमहे तस्माद्युवामस्माकं पालकौ सततं भवेतम् ॥७॥

Word-Meaning: - (युवाम्) (इत्) एव (हि) निश्चये (अवसे) रक्षणाद्याय (पूर्व्याय) पूर्वै राजभिः कृताय (परि) (प्रभूती) समर्थौ (गविषः) गवामिच्छोः (स्वापी) शयानौ (वृणीमहे) स्वीकुर्महे (सख्याय) मित्रत्वाय (प्रियाय) कमनीयाय (शूरा) निर्भयौ शत्रुहिंसकौ (मंहिष्ठा) अतिशयेन सत्कर्त्तव्यौ (पितरेव) यथा जनकजनन्यौ (शम्भू) शं सुखं भावुकौ ॥७॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे प्रजाजना भवन्तस्तानेव राजादीन् स्वीकुर्वन्तु ये पितृवत्सर्वान् पालयितुं समर्थाः स्युः ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे प्रजाजन हो! जो पित्याप्रमाणे सर्व लोकांचे पालन करण्यास समर्थ असतो, तुम्ही त्याच राजाचा स्वीकार करा. ॥ ७ ॥