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पु॒रो॒ळाशं॑ च नो॒ घसो॑ जो॒षया॑से॒ गिर॑श्च नः। व॒धू॒युरि॑व॒ योष॑णाम् ॥१६॥

English Transliteration

puroḻāśaṁ ca no ghaso joṣayāse giraś ca naḥ | vadhūyur iva yoṣaṇām ||

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Pad Path

पु॒रो॒ळाश॑म्। च॒। नः॒। घसः॑। जो॒षया॑से। गिरः॑। च॒। नः॒। व॒धू॒युःऽइ॑व। योष॑णाम् ॥१६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:32» Mantra:16 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:29» Mantra:6 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:16


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे वैद्यराज ! जो (नः) हम लोगों के लिये (घसः) भोग है उसकी (पुरोळाशम्, च) और उत्तम प्रकार संस्कारयुक्त अन्नविशेष की (जोषयासे) सेवा कराओ और (योषणाम्) स्त्री को (वधूयुरिव) वधूयु अर्थात् अपने को वधू की चाहना करनेवाली के सदृश (नः) हम लोगों को (गिरः) वाणियों की (च) भी सेवा कराओ ॥१६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जो राजा स्त्री की कामना करते हुए पति के सदृश प्रजा की वाणियों को सुन के न्याय करता और ऐश्वर्य को धारण करता है, वह राज्य में पूज्य होता है ॥१६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे वैद्यराज ! यो नो घसोऽस्ति तं पुरोळाशं च जोषयासे योषणां वधूयुरिव नो गिरश्च जोषयासे ॥१६॥

Word-Meaning: - (पुरोळाशम्) सुसंस्कृतान्नविशेषम् (च) (नः) अस्मभ्यम् (घसः) भोगः (जोषयासे) सेवय (गिरः) वाणीः (च) (नः) अस्माकम् (वधूयुरिव) (योषणाम्) भार्याम् ॥१६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यो राजा स्त्रियं कामयमानः पतिरिव प्रजावाचः श्रुत्वा न्यायं करोत्यैश्वर्यञ्च दधाति स राष्ट्रे पूज्यो भवति ॥१६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जो राजा पत्नीची कामना करणाऱ्या पतीप्रमाणे प्रजेची वाणी ऐकून न्याय करतो व ऐश्वर्य देतो तो राज्यात पूजनीय ठरतो. ॥ १६ ॥