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उ॒त स्मा॑ स॒द्य इत्परि॑ शशमा॒नाय॑ सुन्व॒ते। पु॒रू चि॑न्मंहसे॒ वसु॑ ॥८॥

English Transliteration

uta smā sadya it pari śaśamānāya sunvate | purū cin maṁhase vasu ||

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उ॒त। स्म॒। स॒द्यः। इत्। परि। श॒श॒मा॒नाय॑। सु॒न्व॒ते। पु॒रु। चि॒त्। मं॒ह॒से॒। वसु॑ ॥८॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:31» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:25» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर न्यायपालन राजप्रजाधर्मविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् ! जिससे कि आप (शशमानाय) प्रशंसित और (सुन्वते) पुरुषार्थ से ओषधियों के रस को उत्पन्न करते हुए के लिये (चित्) भी (पुरू) बहुत (वसु) धन को (परि) सब प्रकार (मंहसे) बढ़वाते हो इससे आप (सद्यः) शीघ्र (उत) फिर (स्म) ही (इत्) निश्चित ऐश्वर्य्य को प्राप्त होते हो ॥८॥
Connotation: - जो मनुष्य यथार्थवक्ता पुरुषों का सत्कार करते हैं, वे शीघ्र गुणवान् होकर ऐश्वर्य्य से युक्त होवें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्न्यायपालनराजप्रजाधर्मविषयमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यतस्त्वं शशमानाय सुन्वते चित् पुरू वसु परि मंहसे तस्मात्त्वं सद्य उत स्मेदैश्वर्य्यं प्राप्नोति ॥८॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (स्मा) एव (सद्यः) (इत्) (परि) सर्वतः (शशमानाय) प्रशंसिताय (सुन्वते) पुरुषार्थेनाभिषवं कुर्वते (पुरू) बहु। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (चित्) अपि (मंहसे) वर्धयसि (वसु) धनम् ॥८॥
Connotation: - ये मनुष्या आप्तानां सत्कारं कुर्वन्ति ते तूर्णं गुणवन्तो भूत्वैश्वर्य्ययुक्ता भवेयुः ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे विद्वान पुरुषांचा सत्कार करतात ती ताबडतोब गुणवान बनून ऐश्वर्याने युक्त होतात. ॥ ८ ॥