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सोमो॑ अ॒स्मभ्यं॑ द्वि॒पदे॒ चतु॑ष्पदे च प॒शवे॑। अ॒न॒मी॒वा इष॑स्करत्॥

English Transliteration

somo asmabhyaṁ dvipade catuṣpade ca paśave | anamīvā iṣas karat ||

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Pad Path

सोमः॑। अ॒स्मभ्य॑म्। द्वि॒ऽपदे॑। चतुः॑ऽपदे। च॒। प॒शवे॑। अ॒न॒मी॒वाः। इषः॑। क॒र॒त्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:62» Mantra:14 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:14


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब इस अगले मन्त्र में विद्वान् के विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (सोमः) चन्द्रमा (द्विपदे) मनुष्य आदि (अस्मभ्यम्) हम लोगों के (चतुष्पदे) गौ आदि के (च) और (पशवे) अन्य पशु के लिये (अनमीवाः) रोगनिवर्त्तक (इषः) अन्न आदि ओषधिसमूहों को (करत्) करै, उसका सबकाल में सत्कार करो ॥१४॥
Connotation: - जो वैद्य लोग सब दो पैरवाले अर्थात् मनुष्य आदि और चौपाये गौ आदिकों को रोगरहित करैं, वे सब लोगों को मान करने योग्य होवैं ॥१४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यस्सोमो द्विपदेऽस्मभ्यं चतुष्पदे गवे च पशवेऽनमीवा इषस्करत्तं सर्वदा सत्कुरुत ॥१४॥

Word-Meaning: - (सोमः) चन्द्रः (अस्मभ्यम्) (द्विपदे) मनुष्याद्याय (चतुष्पदे) गवाद्याय (च) (पशवे) (अनमीवाः) नीरोगाः (इषः) अन्नाद्यानोषधिगणान् (करत्) कुर्य्यात् ॥१४॥
Connotation: - ये वैद्याः सर्वान् द्विपदश्चतुष्पदोऽरोगान्कुर्य्युस्ते सर्वैर्माननीयाः स्युः ॥१४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे वैद्य माणसे व गायी इत्यादींना रोगरहित करतात त्यांना सर्वांनी मान देणे योग्य असते. ॥ १४ ॥