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व्र॒ता ते॑ अग्ने मह॒तो म॒हानि॒ तव॒ क्रत्वा॒ रोद॑सी॒ आ त॑तन्थ। त्वं दू॒तो अ॑भवो॒ जाय॑मान॒स्त्वं ने॒ता वृ॑षभ चर्षणी॒नाम्॥

English Transliteration

vratā te agne mahato mahāni tava kratvā rodasī ā tatantha | tvaṁ dūto abhavo jāyamānas tvaṁ netā vṛṣabha carṣaṇīnām ||

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Pad Path

व्र॒ता। ते॒। अ॒ग्ने॒। म॒ह॒तः। म॒हानि॑। तव॑। क्रत्वा॑। रोद॑सी॒ इति॑। आ। त॒त॒न्थ॒। त्वम्। दू॒तः। अ॒भ॒वः॒। जाय॑मानः। त्वम्। ने॒ता। वृ॒ष॒भ॒। च॒र्ष॒णी॒नाम्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:6» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:26» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (वृषभ) वर्षा करानेवाले (अग्ने) विद्वान् जन ! जैसे सूर्य्य वा बिजुली (रोदसी) आकाश और पृथिवी को (आ, ततन्थ) विस्तारता और (दूतः) दूत होता है वैसे (त्वम्) आप (अभवः) हूजिये, जिन (महतः) महान् (ते) आपके (महानि) बड़े-बड़े (व्रता) शील (तव) आपके (क्रत्वा) उत्तम बुद्धि वा कर्म से प्रसिद्ध होते हैं सो (त्वम्) आप (चर्षणीनाम्) मनुष्यों के दूत हूजिये तथा (जायमानः) प्रसिद्ध होते हुए आप (नेता) अग्रगन्ता सभों में श्रेष्ठ हूजिये ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे अग्नि के महान् गुण, कर्म, स्वभाव हैं, वैसे गुण-कर्म-स्वभाववाला जो मनुष्य हो, वही राजदूत और मनुष्यों का नायक भी हो ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे वृषभाग्ने ! यथा सूर्यो विद्युद्वा रोदसी आ ततन्थ दूतो भवति तथा त्वमभवो यस्य महतस्ते महानि व्रता तव क्रत्वा भवन्ति स त्वं चर्षणीनां दूतोऽभवो जायमानस्त्वं नेताऽभवः ॥५॥

Word-Meaning: - (व्रता) व्रतानि शीलानि (ते) तव (अग्ने) विद्वन् (महतः) (महानि) महान्ति (तव) (क्रत्वा) प्रज्ञया कर्मणा वा (रोदसी) द्यावापृथिव्यौ (आ) (ततन्थ) विस्तारयति (त्वम्) (दूतः) (अभवः) भवेः (जायमानः) प्रसिद्धः (त्वम्) (नेता) नायकः (वृषभ) वर्षक (चर्षणीनाम्) मनुष्याणाम् ॥५॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथाग्नेर्महान्तो गुणकर्मस्वभावास्सन्ति तथा यो मनुष्यो भवेत् स एव राजदूतो मनुष्याणां नायकश्च स्यात् ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे अग्नीचे महान गुण, कर्म, स्वभाव आहेत तशा गुणकर्मस्वभावाचा माणूस राजदूत व माणसांचा नायकही होतो. ॥ ५ ॥