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म॒ही समै॑रच्च॒म्वा॑ समी॒ची उ॒भे ते अ॑स्य॒ वसु॑ना॒ न्यृ॑ष्टे। शृ॒ण्वे वी॒रो वि॒न्दमा॑नो॒ वसू॑नि म॒हद्दे॒वाना॑मसुर॒त्वमेक॑म्॥

English Transliteration

mahī sam airac camvā samīcī ubhe te asya vasunā nyṛṣṭe | śṛṇve vīro vindamāno vasūni mahad devānām asuratvam ekam ||

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Pad Path

म॒ही। सम्। ऐ॒र॒त्। च॒म्वा॑। स॒मी॒ची इति॑ स॒म्ऽई॒ची। उ॒भे। ते। अ॒स्य॒। वसु॑ना। न्यृ॑ष्टे॒ इति॒ निऽऋ॑ष्टे। शृ॒ण्वे। वी॒रः। वि॒न्दमा॑नः। वसू॑नि। म॒हत्। दे॒वाना॑म्। अ॒सु॒र॒ऽत्वम्। एक॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:55» Mantra:20 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:31» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:20


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो जगदीश्वर (ते) उन (उभे) दोनों (मही) बड़ी (समीची) उत्तम प्रकार प्राप्त अन्तरिक्ष और पृथिवी को (चम्वा) सेना से जैसे वैसे (सम्, ऐरत्) प्रेरणा करता है वह दोनों (अस्य) इसके (वसुना) द्रव्यों के साथ (न्यृष्टे) निश्चित स्वरूप को प्राप्त हुई हैं (देवानाम्) विद्वानों के उस (महत्) बड़े (एकम्) एक (असुरत्वम्) दोषों के दूर करनेवाले को और (वसूनि) धनों को (विन्दमानः) प्राप्त होता हुआ (वीरः) बल से युक्त मैं ब्रह्म का नित्य (शृण्वे) श्रवण करूँ, उसको आप लोग भी निरन्तर सुनके उन सबों को प्राप्त हूजिये ॥२०॥
Connotation: - कोई भी पुरुष परमेश्वर की आज्ञापालन के विना बड़े ऐश्वर्य्य को नहीं प्राप्त होता है और यथार्थवक्ता पुरुषों से सुनने विना परमात्मा का बोध किसी को भी नहीं प्राप्त होता है, जिससे सब लोगों को चाहिये कि परमेश्वर की आज्ञा का पालन करके ऐश्वर्य्यवान् होवें ॥२०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यो जगदीश्वरस्त उभे मही समीची द्यावापृथिव्यौ चम्वेव समैरदस्य वसुना सह न्यृष्टे स्तस्तद्देवानां महदेकमसुरत्वं वसूनि च विन्दमानो वीरोऽहं ब्रह्म नित्यं शृण्वे तद्यूयमपि सततं श्रुत्वैतानि प्राप्नुत ॥२०॥

Word-Meaning: - (मही) महत्यौ (सम्) (ऐरत्) प्रेरयति (चम्वा) सेनयेव (समीची) सम्यक् प्राप्ते (उभे) (ते) (अस्य) (वसुना) द्रव्यैस्सह (न्यृष्टे) निश्चितं स्वरूपं प्राप्ते (शृण्वे) (वीरः) विद्यमानबलः (विन्दमानः) प्राप्नुवन् (वसूनि) धनानि (महत्) (देवानाम्) (असुरत्वम्) (एकम्) ॥२०॥
Connotation: - नहि कश्चिदपि परमेश्वराज्ञापालनेन विना महदैश्वर्य्यं लभते न चाप्तेभ्यः श्रवणादिना विना परमात्मनो बोधः कञ्चिदाप्नोति तत्सर्वैः परमेश्वराज्ञां पालयित्वैश्वर्य्यवद्भिर्भवितव्यम् ॥२०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - कोणताही पुरुष परमेश्वराच्या आज्ञापालनाशिवाय मोठे ऐश्वर्य प्राप्त करू शकत नाही व आप्त पुरुषांकडून ऐकल्याशिवाय परमात्म्याचा बोध कुणालाही होऊ शकत नाही. त्यासाठी सर्व लोकांनी परमेश्वराची आज्ञा पालन करून ऐश्वर्यवान व्हावे. ॥ २० ॥