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प॒देइ॑व॒ निहि॑ते द॒स्मे अ॒न्तस्तयो॑र॒न्यद्गुह्य॑मा॒विर॒न्यत्। स॒ध्री॒ची॒ना प॒थ्या॒३॒॑ सा विषू॑ची म॒हद्दे॒वाना॑मसुर॒त्वमेक॑म्॥

English Transliteration

pade iva nihite dasme antas tayor anyad guhyam āvir anyat | sadhrīcīnā pathyā sā viṣūcī mahad devānām asuratvam ekam ||

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Pad Path

प॒देइ॒वेति॑ प॒देऽइ॑व। निहि॑ते॒ इति॒ निऽहि॑ते। द॒स्मे। अ॒न्तरिति॑। तयोः॑। अ॒न्यत्। गुह्य॑म्। आ॒विः। अ॒न्यत्। स॒ध्री॒ची॒ना। प॒थ्या॑। सा। विषू॑ची। म॒हत्। दे॒वाना॑म्। अ॒सु॒र॒ऽत्वम्। एक॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:55» Mantra:15 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:30» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (देवानाम्) विद्वानों का जो (महत्) बड़ा (एकम्) द्वितीयरहित (असुरत्वम्) दोषों का दूर करनेवाला है और जिससे (दस्मे) नाश होनेवाले (पदेइव) पैरों के सदृश (निहिते) धारण किये गये रात्रि और दिन वर्त्तमान हैं जो अन्य (सध्रीचीना) एक साथ सेवन करती हुई (पथ्या) अपनी कक्षा को त्याग के अन्यत्र नहीं जानेवाली (सा) वह (विषूची) व्याप्त पदार्थों का सेवन करती है (तयोः) उनके (अन्तः) मध्य में (अन्यत्) दूसरा (गुह्यम्) गुप्त (अन्यत्) अन्य (आविः) रक्षा करनेवाला है, उस सबको जानो ॥१५॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे मनुष्य लोग दो पैरों से चलते हैं, वैसे ही रात्रि और दिन चलते हैं और जैसे दिन पथ्य है, वैसे रात्रि पथ्य नहीं होती है। इसी प्रकार सर्वान्तर्यामी ब्रह्म को त्याग करके अन्य उपासित हुआ पथ्य नहीं होता है ॥१५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Anvay:

हे मनुष्या देवानां यन्महदेकमसुरत्वमस्ति येन दस्मे पदे इव निहिते रात्रिदिने वर्त्तेते यान्या सध्रीचीना पथ्या सा विषूची वर्त्तेते तयोरन्तरन्यद्गुह्यमन्यच्चाविरस्ति तत्सर्वं विजानीत ॥१५॥

Word-Meaning: - (पदे इव) यथा पादौ तथा (निहिते) धृते (दस्मे) उपक्षयित्र्यौ (अन्तः) मध्ये (तयोः) (अन्यत्) (गुह्यम्) गुप्तम् (आविः) रक्षकम् (अन्यत्) (सध्रीचीना) सहाञ्चन्ती (पथ्या) पथोऽनपेता स्वकक्षां विहायाऽन्यत्रागन्त्री (सा) (विषूची) या विषून् व्याप्तानञ्चति सा (महत्) (देवानाम्) (असुरत्वम्) (एकम्) ॥१५॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा मनुष्या द्वाभ्यां पादाभ्यां गच्छन्ति तथैव रात्रिदिने गच्छतः। यथा दिनं पथ्यमस्ति तथा रात्रिः पथ्या न भवति। एवं सर्वान्तर्य्यामि ब्रह्म विहायान्यदुपासितं पथ्यं न जायते ॥१५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जशी माणसे दोन पायांनी चालतात तसेच रात्र व दिवस चालतात. जसा दिवस कल्याणकारक असतो व रात्र नसते, तसेच सर्वांतर्यामी ब्रह्माचा त्याग करून अन्य कोणाची उपासना कल्याणकारक नसते. ॥ १५ ॥