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अग्ने॒ त्री ते॒ वाजि॑ना॒ त्री ष॒धस्था॑ ति॒स्रस्ते॑ जि॒ह्वा ऋ॑तजात पू॒र्वीः। ति॒स्र उ॑ ते त॒न्वो॑ दे॒ववा॑ता॒स्ताभि॑र्नः पाहि॒ गिरो॒ अप्र॑युच्छन्॥

English Transliteration

agne trī te vājinā trī ṣadhasthā tisras te jihvā ṛtajāta pūrvīḥ | tisra u te tanvo devavātās tābhir naḥ pāhi giro aprayucchan ||

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Pad Path

अग्ने॑। त्री। ते॒। वा॒जि॑ना॑। त्री। ष॒धऽस्था॑। ति॒स्रः। ते॒। जि॒ह्वाः। ऋ॒त॒ऽजा॒त॒। पू॒र्वीः। ति॒स्रः। ऊँ॒ इति॑। ते॒। त॒न्वः॑। दे॒वऽवा॑ताः। ताभिः॑। नः॒। पा॒हि॒। गिरः॑। अप्र॑ऽयुच्छन्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:20» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:20» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (ऋतजात) सत्य आचरण करने में प्रसिद्ध (अग्ने) अग्नि के सदृश प्रकाशस्वरूप विद्वान् पुरुष ! (ते) आपके (त्री) तीन (वाजिना) ज्ञान गमन और प्राप्तिरूप (त्री) तीन (सधस्था) तुल्य स्थानवाले जन्मादि (ते) आपकी (तिस्रः) तीन प्रकार वाली (जिह्वा) वाणियाँ (पूर्वीः) प्राचीन (उ) और (ते) आपके (तिस्रः) तीन (तन्वः) शरीर सम्बन्धी (देववाताः) विद्वानों के साथ संवाद करने में उपकारक (गिरः) वचन हैं उनसे (अप्रयुच्छन्) अहंकार त्यागी आप (नः) हम लोगों की (पाहि) रक्षा करो ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप लोग ब्रह्मचर्य्य अध्ययन और विचार से तीन कर्म करके तीन जन्म स्थान और नामों में कृतकृत्य अर्थात् जन्म सफल करो, पढ़ाने तथा उपदेश से सबकी रक्षा करो और आप स्वयं प्रमादरहित होकर अन्य लोगों को वैसा ही करो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे ऋतजाताग्ने ते तव त्री वाजिना त्री सधस्था ते तिस्रो जिह्वाः पूर्वी उ ते तिस्रस्तन्वो देववाता गिरः सन्ति ताभिरप्रयुच्छन् संस्त्वं नोऽस्मान् पाहि ॥२॥

Word-Meaning: - (अग्ने) पावक इव प्रकाशात्मन् विद्वन् (त्री) त्रीणि (ते) तव (वाजिना) ज्ञानगमनप्राप्तिरूपाणि (त्री) त्रीणि (सधस्था) समानस्थानानि (तिस्रः) त्रित्वसङ्ख्याताः (ते) तव (जिह्वाः) विविधा वाणीः (ऋतजात) सत्याचरणे प्रसिद्ध (पूर्वीः) प्राचीनाः (तिस्रः) त्रिविधाः (उ) वितर्के (ते) तव (तन्वः) शरीरस्य (देववाताः) ये देवैर्विद्वद्भिः सह वान्ति ते (ताभिः) पूर्वोक्ताभिः (नः) अस्माकम् (पाहि) (गिरः) सुशिक्षिता वाचः (अप्रयुच्छन्) प्रमादमकुर्वन् ॥२॥
Connotation: - हे मनुष्या ब्रह्मचर्य्याध्ययनमननानि त्रीणि कर्माणि कृत्वा त्रिषु जन्मस्थाननामसु कृतकृत्या भवन्तु अध्यापनोपदेशाभ्यां सर्वेषां रक्षां कुर्वन्तु स्वयं प्रमादरहिता भूत्वाऽन्यानपि तादृशान् संपादयन्तु ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! तुम्ही ब्रह्मचर्य पालन, अध्ययन व मनन हे तीन कर्म करून जन्म, स्थान व नाम कृतकृत्य करा. अध्यापन व उपदेश करून सर्वांचे रक्षण करा. स्वतः प्रमादरहित बनून इतरांनाही तसेच करा. ॥ २ ॥