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अदा॑भ्यः पुरए॒ता वि॒शाम॒ग्निर्मानु॑षीणाम्। तूर्णी॒ रथः॒ सदा॒ नवः॑॥

English Transliteration

adābhyaḥ puraetā viśām agnir mānuṣīṇām | tūrṇī rathaḥ sadā navaḥ ||

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Pad Path

अदा॑भ्यः। पु॒रः॒ऽए॒ता। वि॒शाम्। अ॒ग्निः। मानु॑षीणाम्। तूर्णिः॑। रथः॑। सदा॑। नवः॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:11» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:9» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् लोग क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - विद्वान् पुरुष (तूर्णिः) शीघ्र चलनेवाला और (नवः) नवीन (रथः) उत्तम सवारी और (अग्निः) अग्नि के सदृश प्रकाशित (मानुषीणाम्) मनुष्य संबन्धिनी (विशाम्) प्रजाओं की (सदा) सब काल में (अदाभ्यः) परस्पर हिंसा का वारणकर्ता और (पुरएता) अग्रगामी होवें ॥५॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। विद्वान् लोग जैसे शीघ्रगामी नवीन रथ से शीघ्र अपने वाञ्छित स्थान को कोई एक मनुष्य पहूँचता है, वैसे वैर को त्याग के सब लोगों को अपनी इच्छानुकूल सद्विद्याओं की शीघ्र शिक्षा देकर उनका जन्म सफल करें ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं कुर्य्युरित्याह।

Anvay:

विद्वान् तूर्णिर्नवो रथइवाऽग्निरिव मानुषीणां विशां सदाऽदाभ्यः पुरएता भवेत् ॥५॥

Word-Meaning: - (अदाभ्यः) हिंसितुमनर्हः (पुरएता) यः पुर एति सः (विशाम्) प्रजानाम् (अग्निः) पावक इव (मानुषीणाम्) मनुष्यसम्बन्धिनीनाम् (तूर्णिः) सद्यो गामी (रथः) उत्तमं यानम् (सदा) सर्वस्मिन् काले (नवः) नूतनः ॥५॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। विद्वांसो यथा शीघ्रगामिना नवेन रथेन सद्योऽभीष्टं स्थानं गच्छति तथैव निर्वैरा भूत्वा सर्वानभीष्टाः सद्विद्याः सद्यः प्रापय्य कृतकृत्यान् संपादयेयुः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा एखादा विद्वान माणूस शीघ्र चालणाऱ्या नवीन रथाने ताबडतोब इच्छित स्थानी पोचतो, तसेच वैराचा त्याग करून इच्छानुकूल सर्व लोकांना सद्विद्येचे शिक्षण देऊन त्यांचा जन्म सफल करावा. ॥ ५ ॥