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व॒व्राजा॑ सी॒मन॑दती॒रद॑ब्धा दि॒वो य॒ह्वीरव॑साना॒ अन॑ग्नाः। सना॒ अत्र॑ युव॒तयः॒ सयो॑नी॒रेकं॒ गर्भं॑ दधिरे स॒प्त वाणीः॑॥

English Transliteration

vavrājā sīm anadatīr adabdhā divo yahvīr avasānā anagnāḥ | sanā atra yuvatayaḥ sayonīr ekaṁ garbhaṁ dadhire sapta vāṇīḥ ||

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Pad Path

व॒व्राज॑। सी॒म्। अन॑दतीः। अद॑ब्धाः। दि॒वः। य॒ह्वीः। अव॑सानाः। अन॑ग्नाः। सनाः॑। अत्र॑। यु॒व॒तयः॑। सऽयो॑नीः। एक॑म्। गर्भ॑म्। द॒धि॒रे॒। स॒प्त। वाणीः॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:1» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब स्त्रीपुरुषों के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे विद्वान् (सप्त वाणीः) सात वाणियों को (सीम्) सब ओर से (वव्राज) प्राप्त होता वैसे (अत्र) यहाँ (अनदतीः) अविद्यमान अर्थात् अतीव सूक्ष्म जिनके दन्त (अदब्धाः) अहिंसनीय अर्थात् सत्कार करने योग्य (दिवः) देदीप्यमान (यह्वीः) बहुत विद्या और गुण स्वभाव से युक्त (अवसानाः) समीप में ठहरी हुई (अनग्नीः) सब ओर से वस्त्र वा आभूषण आदि से ढपी हुई (सनाः) भोगनेवाली (सयोनीः) समान जिन की योनि अर्थात् एक माता से उत्पन्न हुई सभी वे (युवतयः) प्राप्त यौवना स्त्री (एकम्) एक अर्थात् असहायक (गर्भम्) गर्भ को (दधिरे) धारण करतीं वें सुखी क्यों न हों? ॥६॥
Connotation: - जो समान रूपवाली स्त्रियाँ अपने-अपने समान पतियों को अपनी इच्छा से प्राप्त होकर परस्पर प्रीति के साथ सन्तानों को उत्पन्न कर और उन की रक्षा कर उनको उत्तम शिक्षा दिलाती हैं वे सुखयुक्त होती हैं। जैसे परा, पश्यन्ती, मध्यमा, वैखरी कर्म्मोपासनाज्ञान प्रकाश करनेवाली तीनों मिल कर और सात वाणी सब व्यवहारों को सिद्ध करती हैं, वैसे विद्वान् स्त्री पुरुष धर्म्म, अर्थ, काम और मोक्ष को सिद्ध कर सकते हैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ स्त्रीपुरुषविषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यथा विद्वान् सप्त वाणीः सीं वव्राज तथाऽत्रानदतीरदब्धा दिवो यह्वीरवसाना अनग्नास्सनाः सयोनीर्युवतय एकं गर्भं दधिरे ताः सुखिन्यः कुतो न स्युः? ॥६॥

Word-Meaning: - (वव्राज) व्रजति प्राप्तोति। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (सीम्) सर्वतः (अनदतीः) अविद्यमाना अतीव सूक्ष्मा दन्ता यासान्ताः (अदब्धाः) अहिंसनीयाः सत्कर्त्तव्याः (दिवः) देदीप्यमानाः (यह्वीः) महाविद्यागुणस्वभावयुक्ताः (अवसानाः) अन्ते समीपे स्थिताः (अनग्ना) सर्वता वस्त्रभूषणादिभिराच्छादिताः (सनाः) भोक्त्र्यः (अत्र) (युवतयः) प्राप्तयौवनाः (सयोनीः) समाना योनिर्यासां ताः (एकम्) असहायम् (गर्भम्) (दधिरे) धरन्ति (सप्त) (वाणीः) ॥६॥
Connotation: - यदि समानविद्यारूपस्वभावाः समानान् पतीन् स्वेच्छया प्राप्य परस्परप्रीत्यात् सन्तानानुत्पाद्य संरक्ष्य सुशिक्षयन्ति ताः सुखयुक्ता भवन्ति यथा परा पश्यन्ती मध्यमा वैखरी कर्म्मोपासनाज्ञानप्रकाशिकास्तिस्त्रश्च मिलित्वा सप्त वाण्यः सर्वान्व्यवहारान् साधयन्ति तथा विद्वांसः स्त्रीपुरुषा धर्मार्थकाममोक्षान् साद्धुं शक्नुवन्ति ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - समान विद्या, रूप, स्वभाव असलेल्या स्त्रिया आपापल्या गुणांनुसार पतींना आपल्या इच्छेने प्राप्त करून परस्पर प्रीतीने संतान उत्पन्न करून त्यांचे रक्षण करून त्यांना उत्तम शिक्षण देतात, त्या सुखी होतात. जशा परा, पश्यन्ती, मध्यमा, वैखरी, तसेच कर्मोपासना व ज्ञानप्रकाश करणारी अशा एकूण सात वाणी सर्व व्यवहार सिद्ध करू शकतात, तसे विद्वान स्त्री-पुरुष धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सिद्ध करू शकतात. ॥ ६ ॥