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कनि॑क्रदज्ज॒नुषं॑ प्रब्रुवा॒ण इय॑र्ति॒ वाच॑मरि॒तेव॒ नाव॑म्। सु॒म॒ङ्गल॑श्च शकुने॒ भवा॑सि॒ मा त्वा॒ का चि॑दभि॒भा विश्व्या॑ विदत्॥

English Transliteration

kanikradaj januṣam prabruvāṇa iyarti vācam ariteva nāvam | sumaṅgalaś ca śakune bhavāsi mā tvā kā cid abhibhā viśvyā vidat ||

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Pad Path

कनि॑क्रदत्। ज॒नुष॑म्। प्र॒ऽब्रु॒वा॒णः। इय॑र्ति। वाच॑म्। अ॒रि॒ताऽइ॑व। नाव॑म्। सु॒ऽम॒ङ्गलः॑। च॒। श॒कु॒ने॒। भवा॑सि। मा। त्वा॒। का। चि॒त्। अ॒भि॒ऽभा। विश्व्या॑। वि॒द॒त्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:42» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब तीन चावाले बयालीसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में उपदेशक के गुणों को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (शकुने) पक्षी के तुल्य वर्त्तमान शक्तिमान् पुरुष (कनिक्रदत्) निरन्तर शब्दायमान उपदेशक (जनुषम्) प्रसिद्ध विद्या को (प्रब्रुवाणः) प्रकृष्टता से कहता हुआ (अरितेव) पहुँचे हुए पदार्थों के समान (वाचम्) वाणी (च) और (नावम्) नाव को (इयर्त्ति) प्राप्त होता वैसे (सुमङ्गलः) सुमङ्गल शब्दयुक्त (भवासि) होते हो (का,चित्) कोई भी (विश्व्याः) इस संसार में हुई (अभिभा) सब ओर से जो कान्ति है वह (त्वा) तुझे (मा) मत (विदत्) प्राप्त हो अर्थात् किसी दूसरे का तेज आपके आगे प्रबल न हो ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। जो उपदेशक जैसे बल्ली नाव को पहुँचाती है, वैसे सब मनुष्यों को उपदेश के लिये प्राप्त होता वा उपदेश करता हुआ पक्षी के समान भ्रमता है, उस सुमङ्गलाचरण करनेवाले के लिये कोई कान्ति भङ्ग न हो, इसलिये राजा को उपदेशकों की रक्षा करनी चाहिये ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथोपदेशकगुणानाह।

Anvay:

हे शकुने शक्तिमन् कनिक्रदज्जनुषं प्रब्रुवाणोऽरितेवं वाचं नावं चेयर्त्ति तथा सुमङ्गलो भवासि काचिद्विश्व्या अभिभा त्वामाविदत् ॥१॥

Word-Meaning: - (कनिक्रदत्) भृशं शब्दायमानः (जनुषम्) प्रसिद्धाम् (प्रब्रुवाणः) प्रकृष्टतया वदन् (इयर्त्ति) प्राप्नोति (वाचम्) (अरितवे) यथा अरितानि (नावम्) (सुमङ्गलः) सुमङ्गलशब्दः (च) (शकुने) शकुनिवद्वर्त्तमान (भवासि) भवेः (मा) (त्वा) त्वाम् (का) (चित्) अपि (अभिभा) अभितः कान्तिः (विश्व्याः) विश्वस्मिन्भवा (विदत्) प्राप्नुयात् ॥१॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। य उपदेशको यथाऽरित्राणि नावं प्राप्नुवन्ति तथा सर्वान्मनुष्यानुपदेशाय प्राप्नोत्युपदिशन् पक्षिवद्भ्रमति तस्मै सुमङ्गलाचाराय कश्चित्प्रभाभङ्गो न स्यादेतदर्थं राज्ञोपदेशकानां रक्षा विधेया ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात उपदेशकाच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे वल्हे नावेला पलीकडे पोचवितात तसा उपदेशक सर्व माणसांना उपदेश करतो व पक्ष्याप्रमाणे भ्रमण करतो. त्या चांगले आचरण करणाऱ्याचे तेज नष्ट होऊ नये यासाठी राजाने उपदेशकाचे रक्षण केले पाहिजे. ॥ १ ॥