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वि॒श्व॒जिते॑ धन॒जिते॑ स्व॒र्जिते॑ सत्रा॒जिते॑ नृ॒जित॑ उर्वरा॒जिते॑। अ॒श्व॒जिते॑ गो॒जिते॑ अ॒ब्जिते॑ भ॒रेन्द्रा॑य॒ सोमं॑ यज॒ताय॑ हर्य॒तम्॥

English Transliteration

viśvajite dhanajite svarjite satrājite nṛjita urvarājite | aśvajite gojite abjite bharendrāya somaṁ yajatāya haryatam ||

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Pad Path

वि॒श्व॒ऽजिते॑। ध॒न॒ऽजिते॑। स्वः॒ऽजिते॑। स॒त्रा॒ऽजिते॑। नृ॒ऽजिते॑। उ॒र्व॒रा॒ऽजिते॑। अ॒श्व॒ऽजिते॑। गो॒ऽजिते॑। अ॒प्ऽजिते॑। भ॒र॒। इन्द्रा॑य। सोम॑म्। य॒ज॒ताय॑। ह॒र्य॒तम्॥

Rigveda » Mandal:2» Sukta:21» Mantra:1 | Ashtak:2» Adhyay:6» Varga:27» Mantra:1 | Mandal:2» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब छः चावाले इक्कीसवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में विद्वान् के गुणों को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे प्रजाजन आप (विश्वजिते) जो विश्व को जीतता वा (सत्राजिते) जो सत्य से उत्कर्षता को प्राप्त होता वा (स्वर्जिते) जो सुख से जीतता वा (नृजिते) जो मनुष्यों से जीतता वा (अश्वजिते) जो घोड़ों से जीतता वा (गोजिते) जो गौओं को जीतता वा (उर्वराजिते) जो सर्व फल पुष्प शस्यादि पदार्थों की प्राप्ति करानेवाली को जीतता वा (धनजिते) जो धन से जीतता (अप्सुजिते) वा जलों में जीतता उसके लिये वा (यजताय) सत्संग करनेवाले (इन्द्राय) सभा और सेनापति के लिये (हर्यतम्) मनोहर (सोमम्) ऐश्वर्य को (भर) धारण करो ॥१॥
Connotation: - राजा प्रजाजनों को यह अच्छे प्रकार उचित है कि जो सर्वदा विजयशील ऐश्वर्य की उन्नति करनेवाले जन न्याय से प्रजा में वर्त्तें, उनका सत्कार सर्वदा सब करें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्गुणानाह।

Anvay:

हे प्रजाजन त्वं विश्वजिते सत्राजिते स्वर्जिते नृजितेऽश्वजिते गोजित उर्वराजिते धनजितेऽब्जिते यजतायेन्द्राय हर्यतं सोमं भर ॥१॥

Word-Meaning: - (विश्वजिते) यो विश्वं जयति तस्मै (धनजिते) यो धनेन जयति तस्मै (स्वर्जिते) यः सुखेन जयति तस्मै (सत्राजिते) यः सत्येनोत्कर्षति तस्मै (नृजिते) यो नृभिर्जयति तस्मै (उर्वराजिते) य उर्वरां सर्वफलपुष्पशस्यादिप्रापिकां जयति तस्मै (अश्वजिते) योऽर्श्वैर्जयति तस्मै (गोजिते) यो गा जयति तस्मै (अब्जिते) योऽप्सु जयति तस्मै (भर) धर (इन्द्राय) सभासेनेशाय (सोमम्) ऐश्वर्यम् (यजताय) सत्संगन्त्रे (हर्यतम्) कमनीयम् ॥१॥
Connotation: - राजप्रजाजनानामिदं समुचितमस्ति ये सर्वदा विजयशीला ऐश्वर्योन्नायका जना न्यायेन प्रजासु वर्त्तेरंस्तान् सदा सत्कुर्युः ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे सदैव विजयी असून ऐश्वर्याची वाढ करतात व प्रजेशी न्यायाने वागतात त्यांचा राजा व प्रजा यांनी सदैव सत्कार करावा. ॥ १ ॥