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पुरू॑रवो॒ मा मृ॑था॒ मा प्र प॑प्तो॒ मा त्वा॒ वृका॑सो॒ अशि॑वास उ क्षन् । न वै स्त्रैणा॑नि स॒ख्यानि॑ सन्ति सालावृ॒काणां॒ हृद॑यान्ये॒ता ॥

English Transliteration

purūravo mā mṛthā mā pra papto mā tvā vṛkāso aśivāsa u kṣan | na vai straiṇāni sakhyāni santi sālāvṛkāṇāṁ hṛdayāny etā ||

Pad Path

पुरू॑रवः । मा । मृ॒थाः॒ । मा । प्र । प॒प्तः॒ । मा । त्वा॒ । वृका॑सः । अशि॑वासः । ऊँ॒ इति॑ । क्ष॒न् । न । वै । स्त्रैणा॑नि । स॒ख्यानि॑ । स॒न्ति॒ । सा॒ला॒वृ॒काणा॑म् । हृद॑यानि । ए॒ता ॥ १०.९५.१५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:95» Mantra:15 | Ashtak:8» Adhyay:5» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:8» Mantra:15


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (पुरूरवः) हे बहुवादी ! (मा मृथाः) मत मर (मा प्र पप्तः) मत कहीं खड्डे आदि में प्रपतन कर-गिर, (मा त्वा) मत मुझे (अशिवासः) अहितकर (वृकासः) भेडिएँ मांसभक्षक (उ क्षन्) अवश्य खा जावें (न वै) न ही (स्त्रैणानि) स्त्रीसम्बन्धी (सख्यानि) सखी भाव-स्नेह (सन्ति) स्थिर होते हैं अर्थात् कल्याणकर नहीं होते हैं (एता) ये तो (सालावृकाणाम्) वेग से आक्रमण करनेवाले भेड़ियों के (हृदयानि) हृदय कैसे क्रूर हैं-हानिकर हैं ॥१५॥
Connotation: - मनुष्य कामी बनकर आत्महत्या कर लेते हैं, अपने को मांस खानेवाले पशुओं तक समर्पित कर देते हैं, ऐसा नहीं करऩा चाहिए, यह जीवन की सफलता नहीं और स्त्रियों में आसक्ति से कामवश स्नेह स्थायी नहीं होते हैं, अपितु आक्रमणकारी भेड़ियों के हृदय जैसे जीवन नष्ट करानेवाले होते हैं, किन्तु  सद्गृहस्थ बनकर पुत्र उत्पत्ति-पुत्रोत्पादन का लक्ष्य रखें ॥१५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (पुरूरवः-मा मृथाः) हे बहुवादिन् ! त्वं न म्रियस्व (मा प्र पप्तः) न क्वचित् प्रपतनं कुरु (मा त्वा-अशिवासः-वृकासः-उ क्षन्) न त्वामहितकरा वृका मांसभक्षकाः पशवो भक्षयेयुः, “घस्लृ भक्षणे अस्य लुङि रूपम्” यतः (न वै स्त्रैणानि सख्यानि सन्ति) न निश्चयेन स्त्रीसम्बन्धीनि सख्यानि स्थिराणि कल्याणकराणि भवन्ति, (एता सालावृकाणां हृदयानि) इमानि सख्यानि तु गतिशीलच्छेदकानाम् “षल गतौ” [भ्वादि०] कर्त्तरि णः प्रत्ययश्छान्दसः ‘सालाश्च ते-वृकाश्च सालवृकाः’ तेषां पशूनां हृदयानि-इव दुःखदायीनि भवन्ति ॥१५॥