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ए॒तं मे॒ स्तोमं॑ त॒ना न सूर्ये॑ द्यु॒तद्या॑मानं वावृधन्त नृ॒णाम् । सं॒वन॑नं॒ नाश्व्यं॒ तष्टे॒वान॑पच्युतम् ॥

English Transliteration

etam me stomaṁ tanā na sūrye dyutadyāmānaṁ vāvṛdhanta nṛṇām | saṁvananaṁ nāśvyaṁ taṣṭevānapacyutam ||

Pad Path

ए॒तम् । मे॒ । स्तोम॑म् । त॒ना । न । सूर्ये॑ । द्यु॒तत्ऽया॑मानम् । व॒वृ॒ध॒न्त॒ । नृ॒णाम् । स॒म्ऽवन॑नम् । न । अस्व्य॑म् । तष्टा॑ऽइव । अन॑पऽच्युतम् ॥ १०.९३.१२

Rigveda » Mandal:10» Sukta:93» Mantra:12 | Ashtak:8» Adhyay:4» Varga:28» Mantra:2 | Mandal:10» Anuvak:8» Mantra:12


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (मे) मेरे (एतं स्तोमम्) इस स्तुतिसमूह को विद्वान् जन बढ़ावें, प्रोत्साहित करें-पुष्ट करें (सूर्यो तना न) सूर्य में विस्तृत रश्मियाँ जैसे (द्युतद्यामानम्) दीप्तिमान् मार्गयुक्त ज्योतिर्मण्डल को बढ़ाती हैं (नृणां संवननं न अश्व्यम्) मनुष्यों का सम्भजनीय अश्वयोग्य रथ जैसे (अनपच्युतम्) अपच्युतिरहित (तष्टा-इव) शिल्पी रथकार से रचा होता है ॥१२॥
Connotation: - परमात्मा के प्रति स्तुति करनेवाले स्तुतिसमूह को निन्दित दृष्टि से न देखें, किन्तु उसे प्रोत्साहन दें, बढ़ावें। सूर्य की किरणें जैसे सूर्यमण्डल को बढ़ाती हैं या जैसे रथकार शिल्पी घोड़े के उपयुक्त रथ को चलने योग्य बनाता है, अलंकृत करता है, वैसे विद्वान् जन अपने प्रशंसित वचनों से बढ़ावा दें, अलंकृत करें ॥१२॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (मे) मम (एतं स्तोमम्) इमं स्तुतिसमूहं (ववृधन्त) विद्वांसो वर्धयन्तु प्रोत्साहयन्तु-पोषयन्तु (सूर्ये तना न द्युतद्यामानम्) सूर्ये विस्तृता रश्मयो यथा दीप्यमानमार्गयुक्तं ज्योतिर्मण्डलं वर्धयन्ति (नृणां संवननं न-अश्व्यम्) मनुष्याणां सम्भजनीयमश्वार्हं रथं यथा (अनपच्युतम्) अपच्युतिरहितं (तष्टा-इव) शिल्पिना रथकारेणेव रचितं भवति ॥१२॥