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आ॒शस॑नं वि॒शस॑न॒मथो॑ अधिवि॒कर्त॑नम् । सू॒र्याया॑: पश्य रू॒पाणि॒ तानि॑ ब्र॒ह्मा तु शु॑न्धति ॥

English Transliteration

āśasanaṁ viśasanam atho adhivikartanam | sūryāyāḥ paśya rūpāṇi tāni brahmā tu śundhati ||

Pad Path

आ॒ऽशस॑नम् । वि॒ऽशस॑नम् । अथो॒ इति॑ । अ॒धि॒ऽवि॒कर्त॑नम् । सू॒र्यायाः॑ । प॒श्य॒ । रू॒पाणि॑ । तानि॑ । ब्र॒ह्मा । तु । शु॒न्ध॒ति॒ ॥ १०.८५.३५

Rigveda » Mandal:10» Sukta:85» Mantra:35 | Ashtak:8» Adhyay:3» Varga:26» Mantra:5 | Mandal:10» Anuvak:7» Mantra:35


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सूर्यायाः) तेजस्वी वधू के (रूपाणि) बाह्यरूपों को (पश्य) जान-समझ (आशसनम्) आशाभाव (विशसनम्) निराश होना (अथ) और (अधिविकर्तनम्) रुष्ट होने पर पीड़ा देना (एतानि) उन बाह्यरूपों को (ब्रह्मा तु) ज्ञानी तो (शुन्धति) शोध देता है-ठीक कर देता है, अन्य व्यभिचारी नहीं ॥३५॥
Connotation: - तेजस्वी नव वधू कदाचित् किसी वस्तु की आशा रखती हो या उनके न प्राप्त होने पर उदास हो-निराश हो या रुष्ट होकर हिंसा करने को उद्यत हो-दुःखी करने को उद्यत हो, ज्ञानी पति इनका यथायोग्य शोधन-समाधान करके उसे अनुकूल बना लेता है, अन्य नहीं ॥३५॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (सूर्यायाः-रूपाणि पश्य) तेजस्विन्या नववध्वाः-बाह्यरूपाणि जानीहि (आशसनं विशसनम्-अथ-अधिविकर्तनम्) आशाभावः, निराशाभावः-औदासीन्यम्, रुष्टभावेन पीडनं च (तानि ब्रह्मा तु शुन्धति) यो ब्रह्मज्ञानी विधिना पतिः स तानि शोधयति, नान्यो व्यभिचारी ॥३५॥