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ए॒ते शमी॑भिः सु॒शमी॑ अभूव॒न्ये हि॑न्वि॒रे त॒न्व१॒॑: सोम॑ उ॒क्थैः । नृ॒वद्वद॒न्नुप॑ नो माहि॒ वाजा॑न्दि॒वि श्रवो॑ दधिषे॒ नाम॑ वी॒रः ॥

English Transliteration

ete śamībhiḥ suśamī abhūvan ye hinvire tanvaḥ soma ukthaiḥ | nṛvad vadann upa no māhi vājān divi śravo dadhiṣe nāma vīraḥ ||

Pad Path

ए॒ते । शमी॑भिः । सु॒ऽशमी॑ । अ॒भू॒व॒न् । ये । हि॒न्वि॒रे । त॒न्वः॑ । सोमे॑ । उ॒क्थैः । नृ॒ऽवत् । वद॑न् । उप॑ । नः॒ । मा॒हि॒ । वाजा॑न् । दि॒वि । श्रवः॑ । द॒धि॒षे॒ । नाम॑ । वी॒रः ॥ १०.२८.१२

Rigveda » Mandal:10» Sukta:28» Mantra:12 | Ashtak:7» Adhyay:7» Varga:21» Mantra:6 | Mandal:10» Anuvak:2» Mantra:12


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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ये सोमे-उक्थैः-तन्वः-हिन्विरे) जो सुन्दर सुखनिमित्त अन्नों द्वारा शरीरों या प्रजाओं को बढ़ाते हैं (एते शमीभिः सुशमी-अभूवन्) ये ही कर्मों के द्वारा शुभकर्मा देहकारी या राज्याधिकारी सुखभागी होते हैं (नृवत्-वदन् नः-वाजान्-उप-माहि) हे आत्मन् या राजन् ! तू नेता ही बोलता हुआ घोषित करता हुआ हम प्राण जैसे या राज्यमन्त्री जैसों के लिये भोगों को उपहृत कर-भेंट दे (वीरः-दिवि श्रवः-नाम दधिषे) वीर होता हुआ दिव्य शरीर में या दिव्य राजपद पर यशोरूप नाम धारण कर ॥१२॥
Connotation: - उत्तम सुख के निमित्त अन्नों द्वारा श्रेष्ठ देहधारी बनना आत्मशक्ति के द्वारा उत्तम अध्यात्मभोगों को सिद्ध करना, यशस्वी प्रसिद्ध करना जीवन का लक्ष्य है तथा विविध अन्नों से राष्ट्र में सुखप्रसार करना, श्रेष्ठ कर्मों के आचरणों से शरीरवान् बनाना, राजा के आदेश में रहकर सुख भोगना, यशस्वी प्रसिद्ध करना, राज्य की सफलता है ॥१२॥
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BRAHMAMUNI

Word-Meaning: - (ये सोमे-उक्थैः-तन्वः हिन्विरे) ये सोम्यसुखनिमित्तमन्नैः “अन्नमुक्थानि” [कौ० ११।८] शरीराणि प्रजा वा वर्धयन्ति “हि गतौ वृद्धौ च” [स्वादि०] (एते शमीभिः सुशमी अभूवन्) एते हि कर्मभिः “शमी कर्मनाम” [निघं० ३।१] सुकर्मिणो देहधारिणो राज्याधिकारिणो वा सुखभागिनो भवन्ति (नृवत्-वदन् नः वाजान् उपमाहि) हे आत्मन् ! राजन् ! वा त्वं नेतृवत्-नेतेव शब्दयन्-घोषयन् वाऽस्मभ्यं भागानुपयोजयोप-युक्तान् कुरु (वीरः दिवि श्रवः नाम दधिषे) वीरः सन् दिव्यशरीरे दिव्यपदे वा यशो नाम धारय-धारयसि ॥१२॥