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द्र॒वि॒णो॒दा द्रवि॑णसस्तु॒रस्य॑ द्रविणो॒दाः सन॑रस्य॒ प्र यं॑सत्। द्र॒वि॒णो॒दा वी॒रव॑ती॒मिषं॑ नो द्रविणो॒दा रा॑सते दी॒र्घमायु॑: ॥

English Transliteration

draviṇodā draviṇasas turasya draviṇodāḥ sanarasya pra yaṁsat | draviṇodā vīravatīm iṣaṁ no draviṇodā rāsate dīrgham āyuḥ ||

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Pad Path

द्र॒वि॒णः॒ऽदाः। द्रवि॑णसः। तु॒रस्य॑। द्र॒वि॒णः॒ऽदाः। सन॑रस्य। प्र। यं॒स॒त्। द्र॒वि॒णः॒ऽदाः। वी॒रऽव॑तीम्। इष॑म्। नः॒। द्रविणो॒ऽदाः। रा॒स॒ते॒। दी॒र्घम्। आयुः॑ ॥ १.९६.८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:96» Mantra:8 | Ashtak:1» Adhyay:7» Varga:4» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:15» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वह जगदीश्वर कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (द्रविणोदाः) धन आदि पदार्थों का देनेवाला (तुरस्य) शीघ्र सुख करनेवाले (द्रविणसः) द्रव्यसमूह के विज्ञान को (प्र, यंसत्) नियम में रक्खे वा जो (द्रविणोदाः) पदार्थों का विभाग जतानेवाला (सनरस्य) एक-दूसरे से जो अलग किया जाय उस पदार्थ वा व्यवहार के विज्ञान को नियम में रक्खे वा जो (द्रविणोदाः) शूरता आदि गुणों का देनेवाला (वीरवतीम्) जिससे प्रशंसित वीर होवें उस (इषम्) अन्नादि प्राप्ति की चाहना को नियम में रक्खे वा जो (द्रविणोदाः) आयुर्वेद अर्थात् वैद्यकशास्त्र का देनेवाला (नः) हम लोगों के लिये (दीर्घम्) बहुत समय तक (आयुः) जीवन (रासते) देवे उस ईश्वर की सब मनुष्य उपासना करें ॥ ८ ॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! तुम जिस परमगुरु परमेश्वर ने वेद के द्वारा सर्व पदार्थों का विशेष ज्ञान कराया है, उसका आश्रय करके यथायोग्य व्यवहारों का अनुष्ठान कर धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि के लिये बहुत काल पर्य्यन्त जीवन की रक्षा करो ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनः स कीदृश इत्युपदिश्यते ।

Anvay:

यो द्रविणोदास्तुरस्य द्रविणसः प्रयंसत्। यो द्रविणोदा सनरस्य प्रयंसत्। यो द्रविणोदा वीरवतीमिषं प्रयंसत् यो द्रविणोदा नोऽस्मभ्यं दीर्घमायू रासते तमीश्वरं सर्वे मनुष्या उपासीरन् ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (द्रविणोदाः) यो द्रविणांसि ददाति सः (द्रविणसः) द्रव्यसमूहस्य विज्ञानं प्रापणं वा (तुरस्य) शीघ्रं सुखकरस्य (द्रविणोदाः) विभागविज्ञापकः (सनरस्य) संभज्यमानस्य। अत्र सन्धातोर्बाहुलकादौणादिकोऽरन् प्रत्ययः। (प्र) (यंसत्) नियच्छेत् (द्रविणोदाः) शौर्य्यादिप्रदः (वीरवतीम्) प्रशस्ता वीरा विद्यन्तेऽस्याम् (इषम्) अन्नादिप्राप्तीष्टाम् (नः) अस्मभ्यम् (द्रविणोदाः) जीवनविद्याप्रदः (रासते) रातु ददातु। लेट्प्रयोगो व्यत्ययेनात्मनेपदम्। (दीर्घम्) बहुकालपर्य्यन्तम् (आयुः) विद्याधर्मोपयोजकं जीवनम् ॥ ८ ॥
Connotation: - हे मनुष्या यूयं येन परमगुरुणेश्वरेण वेदद्वारा सर्वपदार्थविज्ञानं कार्य्यते तमाश्रित्य यथायोग्यव्यवहाराननुष्ठाय धर्मार्थकाममोक्षसिद्धये चिरजीवित्वं संरक्षत ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! ज्या परमगुरू परमेश्वराने वेदाद्वारे सर्व पदार्थांचे विशेष ज्ञान करविलेले आहे, त्याचा आश्रय घेऊन यथायोग्य व्यवहाराचे अनुष्ठान करून धर्म, अर्थ, काम, मोक्षाच्या सिद्धीसाठी पुष्कळ काळापर्यंत जीवनाचे रक्षण करा. ॥ ८ ॥