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ते अ॒स्मभ्यं॒ शर्म॑ यंसन्न॒मृता॒ मर्त्ये॑भ्यः। बाध॑माना॒ अप॒ द्विषः॑ ॥

English Transliteration

te asmabhyaṁ śarma yaṁsann amṛtā martyebhyaḥ | bādhamānā apa dviṣaḥ ||

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Pad Path

ते। अ॒स्मभ्यम्। शर्म॑। यं॒स॒न्। अ॒मृताः॑। मर्त्ये॑भ्यः। बाध॑मानाः। अप॑। द्विषः॑ ॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:90» Mantra:3 | Ashtak:1» Adhyay:6» Varga:17» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:14» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कैसे हों और क्या करें, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

Word-Meaning: - जो (द्विषः) दुष्टों को (अप बाधमानाः) दुर्गति के साथ निवारण करते हुए (अमृताः) जीवन्मुक्त विद्वान् हैं (ते) वे (मर्त्येभ्यः) (अस्मभ्यम्) अस्मदादि मनुष्यों के लिये (शर्म) सुख (यंसन्) देवें ॥ ३ ॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि विद्वानों से शिक्षा को पाकर खोटे स्वभाववालों को दूर कर नित्य आनन्दित हों ॥ ३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते कीदृशाः किं कुर्य्युरित्युपदिश्यते ॥

Anvay:

ये द्विषोऽपबाधमाना अमृता विद्वांसः सन्ति ते मर्त्येभ्योऽस्मभ्यं शर्म यंसन् प्रापयन्तु ॥ ३ ॥

Word-Meaning: - (ते) विद्वांसः (अस्मभ्यम्) (शर्म्म) सुखम् (यंसन्) यच्छन्तु ददतु (अमृताः) जीवन्मुक्ताः (मर्त्येभ्यः) मनुष्येभ्यः (बाधमानाः) निवारयन्तः (अप) दूरीकरणे (द्विषः) दुष्टान् ॥ ३ ॥
Connotation: - मनुष्यैर्विद्वद्भ्यः शिक्षां प्राप्य दुष्टस्वभावान्निवार्य्य नित्यमानन्दितव्यम् ॥ ३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - माणसांनी विद्वानांकडून शिक्षण घेऊन दुष्ट स्वभावाच्या माणसांना दूर करून सदैव आनंदात राहावे. ॥ ३ ॥