Go To Mantra

आ वो॑ म॒क्षू तना॑य॒ कं रुद्रा॒ अवो॑ वृणीमहे । गन्ता॑ नू॒नं नोऽव॑सा॒ यथा॑ पु॒रेत्था कण्वा॑य बि॒भ्युषे॑ ॥

English Transliteration

ā vo makṣū tanāya kaṁ rudrā avo vṛṇīmahe | gantā nūnaṁ no vasā yathā puretthā kaṇvāya bibhyuṣe ||

Mantra Audio
Pad Path

आ । वः॒ । म॒क्षु । तना॑य । कम् । रुद्राः॑ । अवः॑ । वृ॒णी॒म॒हे॒ । गन्त॑ । नू॒नम् । नः॒ । अव॑स् ॒यथा॑ । पु॒रा । इ॒त्था । कण्वा॑य । बि॒भ्युषे॑॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:39» Mantra:7 | Ashtak:1» Adhyay:3» Varga:19» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:8» Mantra:7


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे कैसे हों, इस विषय का उपदेश अगले मंत्र में किया है।

Word-Meaning: - हे (रुद्राः) दुष्टों के रोदन करानेवाले ४४ वर्ष पर्यन्त अखण्डित ब्रह्मचर्य सेवन से सकल विद्याओं को प्राप्त विद्वान लोगो ! (यथा) जैसे हम लोग (वः) आप लोगों के लिये (अवसा) रक्षादि से (मक्षु) शीघ्र (नूनम्) निश्चित (कम्) सुख को (वृणीमहे) सिद्ध करते है (इत्था) ऐसे तुम भी (नः) हमारे वास्ते (अवः) सुख वर्द्धक रक्षादि कर्म (गन्त) किया करो और जैसे ईश्वर (बिभ्युपे) दुष्टप्राणी वा दुःखों से भयभीत (तनाय) सबको सद्विद्या और धर्म के उपदेश से सुखकारक (कण्वाय) आप्त विद्वान् के अर्थ रक्षा करता है वैसे तुम और हम मिलके सब प्रजा की रक्षा सदा किया करें ॥७॥
Connotation: - इस मंत्र में उपमालङ्कार है। जैसे मेधावी विद्वान् लोग वायु आदि के द्रव्य और गुणों के योग से भय को निवारण करके तुरन्त सुखी होते हैं। वैसे हम लोगों को भी होना चाहिये ॥७॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

(आ) समन्तात् (वः) युष्माकम् (मक्षु) शीघ्रम्। ऋचितुनुघमक्षु०। इतिदीर्घः। (तनाय) यः सर्वस्मै सद्विद्या धर्मोपदेशेन सुखानि तनोति तस्मै। अत्र बाहुलकादौणादिकोऽन् प्रत्ययः। इदं सायणाचार्येण पचाद्यजित्यशुद्धं व्याख्यातम्। कुतोऽच् स्वराभावेन ञ्नित्यादिर्नित्यम् इत्याद्युदात्तस्याभिहितत्वात् (कम्) सुखम्। कमिति सुखनामसु पठितम्। निघं० ३।६। (रुद्राः) दुष्टरोदनकारकाश्चतुश्चत्वारिंशद्वर्षकृतब्रह्मचर्यविद्याः (अवः) अवन्ति येन तद्रक्षणादिकम् (वृणीमहे) स्वीकुर्महे (गन्त) प्राप्नुत। अत्र द्व्यचोतस्तिङ इति दीर्घः। बहुलंछन्दसि इति शपो लुक्। तप्तनप्तन०। इति तत्रादेशः। (नूनम्) निश्चितार्थे (नः) (अस्मभ्यम्) (अवसा) रक्षणादिना (यथा) येन प्रकारेण (पुरा) पूर्वं पुराकल्पे वा (इत्था) अनेन प्रकारेण (कण्वाय) मेधाविने (विभ्युषे) भयं प्राप्ताय ॥७॥

Anvay:

पुनस्ते कीदृशा भवेयुरित्युपदिश्यते।

Word-Meaning: - हे रुद्रा यथा वयं वोऽवसा मक्षु नूनं कं वृणीमह इत्था यूयं नोऽवो गन्त यथा चेश्वरो विभ्युषे तनाय कण्वाय रक्षां विधत्ते तथा यूयं वयं च मिलित्वाऽखिलप्रजायाः पालनं सततं विदध्याम ॥७॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। यथा मेधाविनो वाय्वादिद्रव्यगुणसंप्रयोगेण भयं निवार्य सद्यः सुखिनो भवन्ति तथाऽस्माभिरप्यनुष्ठेयमिति ॥७॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. जसे मेधावी विद्वान लोक वायू इत्यादी द्रव्य व गुणांच्या योगाने भयाचे निवारण करून ताबडतोब सुखी होतात तसे आम्हीही बनले पाहिजे. ॥ ७ ॥