Go To Mantra

विश्वा॑न्दे॒वान्ह॑वामहे म॒रुतः॒ सोम॑पीतये। उ॒ग्रा हि पृश्नि॑मातरः॥

English Transliteration

viśvān devān havāmahe marutaḥ somapītaye | ugrā hi pṛśnimātaraḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

विश्वा॑न्। दे॒वान्। ह॒वा॒म॒हे॒। म॒रुतः॑। सोम॑ऽपीतये। उ॒ग्राः। हि। पृश्नि॑ऽमातरः॥

Rigveda » Mandal:1» Sukta:23» Mantra:10 | Ashtak:1» Adhyay:2» Varga:9» Mantra:5 | Mandal:1» Anuvak:5» Mantra:10


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर वे किस प्रकार के हैं, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है-

Word-Meaning: - विद्या की इच्छा करनेवाले हम लोग (हि) जिस कारण से जो ज्ञान क्रिया के निमित्त से शिल्प व्यवहारों को प्राप्त करानेवाले (उग्राः) तीक्ष्णता वा श्रेष्ठ वेग के सहित और (पृश्निमातरः) जिनकी उत्पत्ति का निमित्त आकाश वा अन्तरिक्ष है, इससे उन (विश्वान्) सब (देवान्) दिव्यगुणों के सहित उत्तम गुणों के प्रकाश करानेवाले वायुओं को (हवामहे) उत्तम विद्या की सिद्धि के लिये जानना चाहते हैं॥१०॥
Connotation: - जिससे यह वायु आकाश ही से उत्पन्न आकाश में आने-जाने और तेज स्वभाववाले हैं, इसी से विद्वान् लोग कार्य्य के अर्थ इनका स्वीकार करते हैं॥१०॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्ते कीदृशा इत्युपदिश्यते।

Anvay:

हि यतो विद्यां चिकीर्षवो वयं य उग्राः पृश्निमातरः सन्ति, तस्मादेतान् विश्वान् देवान् मरुतो हवामहे॥१०॥

Word-Meaning: - (विश्वान्) सर्वान् (देवान्) दिव्यगुणसाहित्येनोत्तमगुणप्रकाशकान् (हवामहे) विद्यासिद्धये स्पर्द्धामहे। अत्र बहुलं छन्दसि इति सम्प्रसारणम्। (मरुतः) ज्ञानक्रियानिमित्तेन शिल्पव्यवहारप्रापकान्। मरुत इति पदनामसु पठितम्। (निघं०५.५) अनेन प्राप्त्यर्थो गृह्यते (सोमपीतये) पदार्थानां यथावद्भोगाय (उग्राः) तीव्रसंवेगादिगुणसहितः (हि) हेत्वर्थे (पृश्निमातरः) पृश्निराकाशमन्तरिक्षं मातोत्पत्तिनिमित्तं येषां ते। पृश्निरिति साधारणनामसु पठितम्। (निघं०१.४)॥१०॥
Connotation: - यत एत आकाशादुत्पन्ना वायवो यत्र तत्र गमनागमनकर्त्तारस्तीक्ष्णस्वभावास्सन्त्यत एव विद्वांसः कार्य्यार्थं तान् स्वीकुर्वन्ति॥१०॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - वायू आकाशात उत्पन्न होऊन आकाशात गमनागमन करतात, ते तेजस्वी स्वभावाचे असतात. त्यामुळेच विद्वान लोक कार्यासाठी त्यांचा स्वीकार करतात. ॥ १० ॥