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अत॑प्यमाने॒ अव॒साव॑न्ती॒ अनु॑ ष्याम॒ रोद॑सी दे॒वपु॑त्रे। उ॒भे दे॒वाना॑मु॒भये॑भि॒रह्नां॒ द्यावा॒ रक्ष॑तं पृथिवी नो॒ अभ्वा॑त् ॥

English Transliteration

atapyamāne avasāvantī anu ṣyāma rodasī devaputre | ubhe devānām ubhayebhir ahnāṁ dyāvā rakṣatam pṛthivī no abhvāt ||

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Pad Path

अत॑प्यमाने॒ इति॑। अव॑सा। अव॑न्ती॒ इति॑। अनु॑। स्या॒म॒। रोद॑सी॒ इति॑। दे॒वपु॑त्रे॒ इति॑ दे॒वऽपु॑त्रे। उ॒भे इति॑। दे॒वाना॑म्। उ॒भये॑भिः। अह्ना॑म्। द्यावा॑। रक्ष॑तम्। पृ॒थि॒वी॒ इति॑। नः॒। अभ्वा॑त् ॥ १.१८५.४

Rigveda » Mandal:1» Sukta:185» Mantra:4 | Ashtak:2» Adhyay:5» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:1» Anuvak:24» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर दृष्टान्तप्राप्त द्यावापृथिवी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (अतप्यमाने) सन्तापरहित (अवसा) रक्षा आदि से (अवन्ती) रक्षा करती हुई (देवपुत्रे) देव जो परमात्मा उसके पुत्र के समान वर्त्तमान (उभे) दोनों (रोदसी) प्रकाशभूमि (अह्नाम्) दिनों के बीच (उभयेभिः) स्थावर और जङ्गमों के साथ (देवानाम्) दिव्य जलादि पदार्थों के जीवन रक्षा करते हैं वैसे हे (द्यावा, पृथिवी) आकाश और पृथिवी के समान वर्त्तमान माता-पिताओ ! तुम दोनों (अभ्वात्) अपराध से (नः) हमारी (रक्षतम्) रक्षा कीजिये जिससे हम लोग (अनु, स्याम) पीछे सुखी होवें ॥ ४ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे पृथिवी आदि पदार्थ समस्त स्थावर जङ्गम की पालना करते हैं, वैसे माता, पिता, आचार्य्य और राजा आदि प्रजा की रक्षा करें ॥ ४ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्दृष्टान्तगतद्यावापृथिवीविषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या ! यथाऽतप्यमानेऽवसावन्ती देवपुत्रे उभे रोदसी अह्नां मध्य उभयेभिः सह देवानां जीवानां रक्षतस्तथा हे द्यावापृथिवीव वर्त्तमानौ मातापितरौ युवामभ्वान्नो रक्षतं येन वयं सुखिनोऽनुष्याम ॥ ४ ॥

Word-Meaning: - (अतप्यमाने) सन्तापरहिते (अवसा) रक्षणादिना (अवन्ती) रक्षित्र्यौ (अनु) (स्याम) भवेम (रोदसी) प्रकाशभूमी (देवपुत्रे) देवस्य परमात्मनः पुत्रवद्वर्त्तमाने (उभे) (देवानाम्) दिव्यानां जलादीनाम् (उभयेभिः) स्थावरजङ्गमैः सह (अह्नाम्) दिनानाम् (द्यावा) (रक्षतम्) (पृथिवी) (नः) (अभ्वात्) ॥ ४ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा पृथिव्यादयः पदार्थाः सर्वं स्थावरजङ्गमं पालयन्ति तथा मातापित्राऽचार्य्यराजादयः प्रजा रक्षन्तु ॥ ४ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे पृथ्वी इत्यादी पदार्थ संपूर्ण स्थावर व जंगमाचे पालन करतात तसे माता, पिता आचार्य व राजा यांनी प्रजेचे रक्षण करावे. ॥ ४ ॥