Go To Mantra

आ नोऽवो॑भिर्म॒रुतो॑ या॒न्त्वच्छा॒ ज्येष्ठे॑भिर्वा बृ॒हद्दि॑वैः सुमा॒याः। अध॒ यदे॑षां नि॒युत॑: पर॒माः स॑मु॒द्रस्य॑ चिद्ध॒नय॑न्त पा॒रे ॥

English Transliteration

ā no vobhir maruto yāntv acchā jyeṣṭhebhir vā bṛhaddivaiḥ sumāyāḥ | adha yad eṣāṁ niyutaḥ paramāḥ samudrasya cid dhanayanta pāre ||

Mantra Audio
Pad Path

आ। नः॒। अवः॑ऽभिः। म॒रुतः॑। या॒न्तु॒। अच्छ॑। ज्येष्ठे॑भिः। वा॒। बृ॒हत्ऽदि॑वैः। सु॒ऽमा॒याः। अध॑। यत्। ए॒षा॒म्। नि॒ऽयुतः॑। प॒र॒माः। स॒मु॒द्रस्य॑। चि॒त्। ध॒नय॑न्त। पा॒रे ॥ १.१६७.२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:167» Mantra:2 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:4» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:2


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पवन के दृष्टान्त से सज्जन के गुणों को कहा है ।

Word-Meaning: - (यत्) जो (सुमायाः) सुन्दर बुद्धिवाले (बृहद्दिवैः) जिनकी अतीव विद्या प्रसिद्ध उन (ज्येष्ठेभिः) विद्या और अवस्था से बढ़े हुओं के (वा) अथवा (अवोभिः) रक्षा आदि कर्मों के साथ (मरुतः) पवनों के समान सज्जन (नः) हम लोगों को (अच्छ) अच्छे प्रकार (आ, यान्तु) प्राप्त होवें (अध) इसके अनन्तर (एषाम्, चित्) इनके भी (समुद्रस्य) सागर के (पारे) पार (परमाः) अत्यन्त उत्तम (नियुतः) पवन के समान बिजुली आदि अश्व (धनयन्त) अपने को धन की इच्छा करते हैं उनका हम लोग सत्कार करें ॥ २ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो अतीव बड़ी नौकाओं से पवन के समान वेग से व्यवहारसिद्धि के लिये समुद्र के वार-पार जा-आ के धन की उन्नति करते हैं, वे अतुल सुख को प्राप्त होते हैं ॥ २ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्वायुदृष्टान्तेन सज्जनगुणानाह ।

Anvay:

यद्ये सुमाया बृहद्दिवैर्ज्येष्ठेभिर्वाऽवोभिः सह मरुत इव नोच्छायान्तु। अधैषां चित् समुद्रस्य पारे परमा नियुतो धनयन्त तान् वयं सत्कुर्याम ॥ २ ॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (नः) अस्मान् (अवोभिः) रक्षणादिभिः (मरुतः) वायवः (यान्तु) प्राप्नुवन्तु (अच्छ) (ज्येष्ठेभिः) विद्यावयोवृद्धैः सह (वा) (बृहद्दिवैः) बृहती दिवा विद्या येषान्तैः (सुमायाः) सुष्ठु माया प्रज्ञा येषान्ते (अध) (यत्) ये (एषाम्) प्राज्ञानाम् (नियुतः) वायुरिव विद्युदादयोऽश्वाः (परमाः) प्रकृष्टाः (समुद्रस्य) सागरस्य (चित्) अपि (धनयन्त) आत्मनो धनमिच्छन्ति। अत्राडभावः। (पारे) ॥ २ ॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये बृहत्तमाभिर्नौकाभिर्वायुवद्वेगेन व्यवहाराय समुद्रस्य पाराऽवारौ गत्वाऽऽगत्य श्रियमुन्नयन्ति तेऽतुलं सुखमाप्नुवन्ति ॥ २ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे अति मोठ्या नौकांनी वायूप्रमाणे वेगवान बनून व्यवहारसिद्धीसाठी समुद्राच्या आरपार जाणेयेणे करतात व धनाची वृद्धी करतात ते अतुल सुख प्राप्त करतात. ॥ २ ॥