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तद्व॑: सुजाता मरुतो महित्व॒नं दी॒र्घं वो॑ दा॒त्रमदि॑तेरिव व्र॒तम्। इन्द्र॑श्च॒न त्यज॑सा॒ वि ह्रु॑णाति॒ तज्जना॑य॒ यस्मै॑ सु॒कृते॒ अरा॑ध्वम् ॥

English Transliteration

tad vaḥ sujātā maruto mahitvanaṁ dīrghaṁ vo dātram aditer iva vratam | indraś cana tyajasā vi hruṇāti taj janāya yasmai sukṛte arādhvam ||

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Pad Path

तत्। वः॒। सु॒ऽजा॒ताः॒। म॒रु॒तः॒। म॒हि॒ऽत्व॒नम्। दी॒र्घम्। वः॒। दा॒त्रम्। अदि॑तेःऽइव। व्र॒तम्। इन्द्रः॑। च॒न। त्यज॑सा। वि। ह्रु॒णा॒ति॒। तत्। जना॑य। यस्मै॑। सु॒ऽकृते॑। अरा॑ध्वम् ॥ १.१६६.१२

Rigveda » Mandal:1» Sukta:166» Mantra:12 | Ashtak:2» Adhyay:4» Varga:3» Mantra:2 | Mandal:1» Anuvak:23» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - हे (सुजाता) सुन्दर प्रसिद्ध (मरुतः) पवनों के समान वर्त्तमान ! जो (वः) तुम्हारा (अदितेरिव) अन्तरिक्ष को जैसे वैसे (महित्वनम्) महिमा (दीर्घम्) विस्तारयुक्त (दात्रम्) दान और (वः) तुम्हारा (व्रतम्) शील है (तत्) उसको तथा जो (इन्द्रः) बिजुली (चन) भी (त्यजसा) त्याग से अर्थात् एक पदार्थ छोड़ दूसरे पर गिरने से (वि, ह्रुणाति) टेढ़ी-बेढ़ी जाती (तत्) उस वृत्त को भी (यस्मै) जिस (सुकृते) सुन्दर धर्म करनेवाले (जनाय) सज्जन के लिये (अराध्वम्) देओ वह संसार का उपकार कर सके ॥ १२ ॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जिनकी प्राण के तुल्य महिमा, विस्तारयुक्त विद्या का दान, आकाशवत् शान्तियुक्त शील और बिजुली के समान दुष्टाचरण का त्याग है, वे सबको सुख देने को योग्य हैं ॥ १२ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

हे सुजाता मरुतो यद्वोऽदितेरिव महित्वनं दीर्घं दात्रं वो व्रतमस्ति। तद्यदिन्द्रश्चन त्यजसा विह्रुणाति तच्च यस्मै सुकृते जनायाराध्वं स जगदुपकाराय शक्नुयात् ॥ १२ ॥

Word-Meaning: - (तत्) (वः) युष्माकम् (सुजाताः) सुष्ठुप्रसिद्धाः (मरुतः) वायवइव वर्त्तमानाः (महित्वनम्) महिमानम् (दीर्घम्) विस्तीर्णम् (वः) युष्माकम् (दात्रम्) दानम् (अदितेरिव) अन्तरिक्षस्येव (व्रतम्) शीलम् (इन्द्रः) विद्युत् (चन) अपि (त्यजसा) त्यागेन (वि) (ह्रुणाति) कुटिलं गच्छति (तत्) (जनाय) (यस्मै) (सुकृते) सुष्ठुधर्मकारिणे (अराध्वम्) दत्त ॥ १२ ॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारौ। येषां प्राणवन्महिमा विस्तृतं विद्यादानमाकाशवच्छान्तं शीलं विद्युद्वद्दुष्टाचारत्यागोऽस्ति ते सर्वेभ्यः सुखं दातुमर्हन्ति ॥ १२ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमा व वाचकलुप्तोपमालंकार आहेत. ज्यांची प्राणाप्रमाणे महिमा, विस्तृत विद्येचे दान, आकाशाप्रमाणे शांतियुक्त शील व विद्युतप्रमाणे दुष्टाचरणाचा त्याग असतो, ते सर्वांना सुख देणारे असतात. ॥ १२ ॥