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मा॒ता पि॒तर॑मृ॒त आ ब॑भाज धी॒त्यग्रे॒ मन॑सा॒ सं हि ज॒ग्मे। सा बी॑भ॒त्सुर्गर्भ॑रसा॒ निवि॑द्धा॒ नम॑स्वन्त॒ इदु॑पवा॒कमी॑युः ॥

English Transliteration

mātā pitaram ṛta ā babhāja dhīty agre manasā saṁ hi jagme | sā bībhatsur garbharasā nividdhā namasvanta id upavākam īyuḥ ||

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Pad Path

मा॒ता। पि॒तर॑म्। ऋ॒ते। आ। ब॒भा॒ज॒। धी॒ती। अग्रे॑। मन॑सा। सम्। हि। ज॒ग्मे। सा। बी॒भ॒त्सुः। गर्भ॑ऽरसा। निऽवि॑द्धा। नम॑स्वन्तः। इत्। उ॒प॒ऽवा॒कम्। ई॒युः॒ ॥ १.१६४.८

Rigveda » Mandal:1» Sukta:164» Mantra:8 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:15» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सूर्यादिकों की कार्य-कारण व्यवस्था को अगले मन्त्र में कहते हैं ।

Word-Meaning: - (बीभत्सुः) जो भयङ्कर (गर्भरसा) जिसके गर्भ में रसरूप विद्यमान (निविद्धा) निरन्तर बँधी हुई (सा) वह (माता) पृथिवी (धीती) धारण से (अग्रे) सृष्टि के पूर्व (पितरम्) सूर्य के (ऋते) विना सबका (आ, बभाज) अच्छे प्रकार सेवन करती है जिसको (हि) निश्चय के साथ (मनसा) विज्ञान से (सं, जग्मे) सङ्गत होते प्राप्त होते उसको प्राप्त होकर (नमस्वन्तः) प्रशंसित अन्नयुक्त होकर (इत्) ही (उपवाकम्) जिसमें वचन मिलता उस भाग को (ईयुः) प्राप्त होते हैं ॥ ८ ॥
Connotation: - यदि सूर्य के विना पृथिवी हो तो अपनी शक्ति से सबको क्यों न धारण करे ? जो पृथिवी न हो तो सूर्य आप ही प्रकाशमान कैसे न हो ? इस कारण इस सृष्टि में अपने-अपने स्वभाव से सब पदार्थ स्वतन्त्र हैं और सापेक्ष व्यवहार में परतन्त्र भी हैं ॥ ८ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ सूर्यादीनां कार्य्यकारणव्यवस्थामाह ।

Anvay:

बीभत्सुर्गर्भरसा निविद्धा सा माता धीत्यग्रे पितरमृते आबभाज यं हि मनसा संजग्मे तामाप्य नमस्वन्त इदुपवाकमीयुः ॥ ८ ॥

Word-Meaning: - (माता) पृथिवी (पितरम्) सूर्यम् (ऋते) विना (आ) (बभाज) सर्वं सेवते (धीती) धीत्या धारणेन। अत्र सुपां सुलुगिति पूर्वसवर्णादेशः। (अग्रे) सृष्टेः प्राक् (मनसा) विज्ञानेन (सम्) सम्यक् (हि) किल (जग्मे) संगच्छते (सा) (बीभत्सुः) या भयप्रदा (गर्भरसा) रसो गर्भे यस्याः सा (निविद्धा) नितरां विद्युदादिभिस्ताडिता (नमस्वन्तः) प्रशस्तान्नयुक्ता भूत्वा (इत्) एव (उपवाकम्) उपगता वाक् यस्मिंस्तम् (ईयुः) यन्ति प्राप्नुवन्ति ॥ ८ ॥
Connotation: - यदि सूर्येण विना पृथिवी स्यात् तर्हि स्वशक्त्या सर्वान् कुतो न धारयेत्। यदि पृथिवी न स्यात्तर्हि सूर्यः स्वप्रकाशवान् कथं न भवेत्। अतोऽस्यां सृष्टौ स्वस्वस्वभावेन सर्वे पदार्थाः स्वतन्त्राः सन्ति सापेक्षव्यवहारे परतन्त्राश्च ॥ ८ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जर सूर्याशिवाय पृथ्वी असेल तर आपल्या शक्तीने सर्वांना धारण कशी करू शकेल? जर पृथ्वी नसेल तर सूर्य स्वतःच प्रकाशमान कसा होणार नाही? यामुळे या सृष्टीत आपापल्या गुणधर्मानुसार सर्व पदार्थ स्वतंत्र आहेत व सापेक्षतेने परतंत्र आहेत. ॥ ८ ॥