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यद्गा॑य॒त्रे अधि॑ गाय॒त्रमाहि॑तं॒ त्रैष्टु॑भाद्वा॒ त्रैष्टु॑भं नि॒रत॑क्षत। यद्वा॒ जग॒ज्जग॒त्याहि॑तं प॒दं य इत्तद्वि॒दुस्ते अ॑मृत॒त्वमा॑नशुः ॥

English Transliteration

yad gāyatre adhi gāyatram āhitaṁ traiṣṭubhād vā traiṣṭubhaṁ niratakṣata | yad vā jagaj jagaty āhitam padaṁ ya it tad vidus te amṛtatvam ānaśuḥ ||

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Pad Path

यत्। गा॒य॒त्रे। अधि॑। गा॒य॒त्रम्। आऽहि॑त॑म्। त्रैस्तु॑भात्। वा॒। त्रैस्तु॑भम्। निः॒ऽअत॑क्षत। यत्। वा॒। जग॑त्। जग॑ति। आऽहि॑तम्। प॒दम्। ये। इत्। तत्। वि॒दुः। ते। अ॒मृ॒त॒ऽत्वम्। आ॒न॒शुः॒ ॥ १.१६४.२३

Rigveda » Mandal:1» Sukta:164» Mantra:23 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:23


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।

Word-Meaning: - (ये) जो लोग (यत्) जो (गायत्रे) गायत्रीछन्दोवाच्य वृत्ति में (गायत्रम्) गानेवालों की रक्षा करनेवाला (अधि, आहितम्) स्थित है (त्रैष्टुभात्, वा) अथवा त्रिष्टुप् छन्दोवाच्य वृत्त से (त्रैष्टुभम्) त्रिष्टुप् में प्रसिद्ध हुए अर्थ को (निरतक्षत) निरन्तर विस्तारते हैं (वा) वा (यत्) जो (जगति) संसार में (जगत्) प्राणि आदि जगत् (पदम्) जानने योग्य (आहितम्) स्थित है (तत्) उसको (विदुः) जानते हैं (ते) वे (इत्) ही (अमृतत्वम्) मोक्षभाव को (आनशुः) प्राप्त होते हैं ॥ २३ ॥
Connotation: - जो सृष्टि के पदार्थ और तत्रस्थ ईश्वरकृत रचना को जानकर परमात्मा का सब ओर से ध्यान कर विद्या और धर्म की उन्नति करते हैं, वे मोक्ष पाते हैं ॥ २३ ॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ।

Anvay:

ये यद्गायत्रे गायत्रमध्याहितं त्रैष्टुभाद्वा त्रैष्टुभं निरतक्षत वा यज्जगति जगत्पदमाहितं तद्विदुस्ते इदमृतत्वमानशुः ॥ २३ ॥

Word-Meaning: - (यत्) (गायत्रे) गायत्री छन्दोवाच्ये (अधि) (गायत्रम्) गायतां रक्षकम् (आहितम्) स्थितम् (त्रैष्टुभात्) त्रिष्टुप्छन्दोवाच्यात् (वा) (त्रैष्टुभम्) त्रिष्टुभि भवम् (निरतक्षत) नितरां तनू कुर्वन्ति विस्तृणन्ति (यत्) (वा) (जगत्) (जगति) (आहितम्) स्थितम् (पदम्) वेदितव्यम् (ये) (इत्) एव (तत्) (विदुः) जानन्ति (ते) (अमृतत्वम्) मोक्षस्य भावम् (आनशुः) अश्नुवते ॥ २३ ॥
Connotation: - ये सृष्टिपदार्थान् तत्रस्थामीश्वररचनां च विज्ञाय परमात्मानमभिध्याय विद्याधर्मोन्नतिं कुर्वन्ति ते मोक्षमाप्नुवन्ति ॥ २३ ॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे सृष्टीचे पदार्थ व ईश्वरनिर्मिती जाणून परमेश्वराचे पूर्णपणे ध्यान करून विद्या व धर्माची वाढ करतात ते मोक्ष प्राप्त करतात. ॥ २३ ॥