Go To Mantra

यत्रा॑ सुप॒र्णा अ॒मृत॑स्य भा॒गमनि॑मेषं वि॒दथा॑भि॒स्वर॑न्ति। इ॒नो विश्व॑स्य॒ भुव॑नस्य गो॒पाः स मा॒ धीर॒: पाक॒मत्रा वि॑वेश ॥

English Transliteration

yatrā suparṇā amṛtasya bhāgam animeṣaṁ vidathābhisvaranti | ino viśvasya bhuvanasya gopāḥ sa mā dhīraḥ pākam atrā viveśa ||

Mantra Audio
Pad Path

यत्र॑। सु॒ऽप॒र्णा। अ॒मृत॑स्य। भा॒गम्। अनि॑ऽमेषम्। वि॒दथा॑। अ॒भि॒ऽस्वर॑न्ति। इ॒नः। विश्व॑स्य। भुव॑नस्य। गो॒पाः। सः। मा॒। धीरः॑। पाक॑म्। अत्र॑। आ। वि॒वे॒श॒ ॥ १.१६४.२१

Rigveda » Mandal:1» Sukta:164» Mantra:21 | Ashtak:2» Adhyay:3» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:1» Anuvak:22» Mantra:21


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर ईश्वर के विषय को कहा है ।

Word-Meaning: - (यत्र) जिस (विदथा) विज्ञानमय परमेश्वर में (सुपर्णाः) शोभन कर्मवाले जीव (अमृतस्य) मोक्ष के (भागम्) सेवने योग्य अंश को (अनिमेषम्) निरन्तर (अभिस्वरन्ति) सन्मुख कहते अर्थात् प्रत्यक्ष कहते वा जिस परमेश्वर में (विश्वस्य) समग्र (भुवनस्य) लोकलोकान्तर का (गोपाः) पालनेवाला (इनः) स्वामी सूर्यमण्डल (आ, विवेश) प्रवेश करता अर्थात् सूर्यादि लोकलोकान्तर सब लय को प्राप्त होते हैं जो इसको जानता है (सः) वह (धीरः) ध्यानवान् पुरुष (अत्र) इस परमेश्वर में (पाकम्) परिपक्व व्यवहारवाले (मा) मुझको उपदेश देवे ॥ २१ ॥
Connotation: - जिस परमात्मा में सवितृमण्डल को आदि लेकर लोकलोकान्तर और द्वीपद्वीपान्तर सब लय हो जाते हैं, तद्विषयक उपदेश से ही साधक जन मोक्ष पाते हैं और किसी तरह से मोक्ष को प्राप्त नहीं हो सकते ॥ २१ ॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनरीश्वरविषयमाह ।

Anvay:

यत्र विदथा सुपर्णा जीवा अमृतस्य भागमनिमेषमभिस्वरन्ति यत्र विश्वस्य भुवनस्य गोपा इन आ विवेश य एतं जानाति स धीरोऽत्र पाकं मा उपदिशेत् ॥ २१ ॥

Word-Meaning: - (यत्र) यस्मिन् परमेश्वरे। अत्र ऋचि तुनुघेति दीर्घः। (सुपर्णाः) शोभनकर्माणो जीवाः (अमृतस्य) मोक्षस्य (भागम्) सेवनम् (अनिमेषम्) निरन्तरम् (विदथा) विदथे विज्ञानमये (अभिस्वरन्ति) आभिमुख्येनोच्चरन्ति (इनः) स्वामी सूर्यः (विश्वस्य) समग्रस्य (भुवनस्य) भूताधिकरणस्य (गोपाः) रक्षकः (सः) (मा) माम् (धीरः) ध्यानवान् (पाकम्) परिपक्वव्यवहारम् (अत्र) (आ) (विवेश) आविशति ॥ २१ ॥
Connotation: - यत्र सवितृप्रभृतिलोकान्तरा द्वीपद्वीपान्तराश्च सर्वे लयमाप्नुवन्ति तदुपदेशेनैव साधका मोक्षमाप्नुवन्ति नान्यथा ॥ २१ ॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - ज्या परमात्म्यात सवितृमंडल लोकलोकान्तर व द्वीपद्वीपान्तर सर्व लय पावतात त्या विषयीच्या उपदेशानेच साधक लोक मोक्ष प्राप्त करतात. इतर कोणत्याही प्रकारे मोक्ष प्राप्त करू शकत नाही. ॥ २१ ॥