वांछित मन्त्र चुनें

दि॒वि धा॑ऽइ॒मं य॒ज्ञमि॒मं य॒ज्ञं दि॒वि धाः॑। स्वाहा॒ऽग्नये॑ य॒ज्ञिया॑य॒ शं यजु॑र्भ्यः ॥११ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

दि॒वि। धाः॒। इ॒मम्। य॒ज्ञम्। इ॒मम्। य॒ज्ञम्। दि॒वि। धाः॒ ॥ स्वाहा॑। अ॒ग्नये॑। य॒ज्ञिया॑य। शम्। यजु॑र्भ्य॒ इति॒ यजुः॑ऽभ्यः ॥११ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:38» मन्त्र:11


बार पढ़ा गया

हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर स्त्री-पुरुष क्या करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे स्त्री वा पुरुष ! तू (यजुर्भ्यः) यज्ञ करानेहारे वा यजुर्वेद के विभागों से (स्वाहा) सत्यक्रिया के साथ (अग्नये) (यज्ञियाय) यज्ञकर्म के योग्य अग्नि के लिये (दिवि) सूर्य्यादि के प्रकाश में (इमम्) इस (यज्ञम्) सङ्ग करने योग्य गृहाश्रम व्यवहार के उपयोगी यज्ञ को (शम्) सुखपूर्वक (धाः) धारण कर (दिवि) विज्ञान के प्रकाश में (इमम्) इस परमार्थ के साधक संन्यास आश्रम के उपयोगी (यज्ञम्) विद्वानों के सङ्गरूप यज्ञ को सुखपूर्वक (धाः) धारण कर ॥११ ॥
भावार्थभाषाः - जो स्त्री-पुरुष ब्रह्मचर्य के साथ विद्यायुक्त उत्तम शिक्षा को प्राप्त होकर वेदरीति से कर्मों का अनुष्ठान करें, वे अतुल सुख को प्राप्त होवें ॥११ ॥
बार पढ़ा गया

संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनः स्त्रीपुरुषाः किं कुर्य्युरित्याह ॥

अन्वय:

(दिवि) सूर्य्यादिप्रकाशे (धाः) धेहि (इमम्) गृहाश्रमव्यवहारोपयोगिनम् (यज्ञम्) सङ्गन्तुमर्हम् (इमम्) परमार्थसिद्धिकरं संन्यासाश्रमोपयोगिनम् (यज्ञम्) विद्वत्सङ्गयुक्तम् (दिवि) विज्ञानप्रकाशे (धाः) धेहि (स्वाहा) सत्यया क्रियया (अग्नये) पावकाय (यज्ञियाय) यज्ञार्हाय (शम्) सुखम् (यजुर्भ्यः) याजकेभ्यो यजुर्वेदविभागेभ्यो वा ॥११ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे स्त्रि पुरुष वा ! त्वं यजुर्भ्यः स्वाहाऽग्नये यज्ञियाय दिवीमं यज्ञं शं धाः। दिवीमं यज्ञं शं धाः ॥११ ॥
भावार्थभाषाः - ये स्त्रीपुरुषा ब्रह्मचर्येणाऽखिलां विद्यासुशिक्षां प्राप्य वेदरीत्या कर्माण्यनुतिष्ठेयुस्तेऽतुलं सुखं लभेरन् ॥११ ॥
बार पढ़ा गया

मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे स्री-पुरुष ब्रह्मचर्याने संपूर्ण विद्यायुक्त उत्तम शिक्षण प्राप्त करून वैदिक रितीने अनुष्ठान करतात ते अत्यंत सुख प्राप्त करतात.