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दृते॒ दृꣳह॑ मा मि॒त्रस्य॑ मा॒ चक्षु॑षा॒ सर्वा॑णि भू॒तानि॒ समी॑क्षन्ताम्। मि॒त्रस्या॒ऽहं चक्षु॑षा॒ सर्वा॑णि भू॒तानि॒ समी॑क्षे। मि॒त्रस्य॒ चक्षु॑षा॒ समी॑क्षामहे ॥१८ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

दृते॑। दृꣳह॑। मा॒। मि॒त्रस्य॑। मा॒। चक्षु॑षा। सर्वा॑णि। भू॒तानि॑। सम्। ई॒क्ष॒न्ता॒म् ॥ मि॒त्रस्य॑। अ॒हम्। चक्षु॑षा। सर्वा॑णि। भू॒तानि॑। सम्। ई॒क्षे॒। मि॒त्रस्य॑। चक्षु॑षा। सम्। ई॒क्षा॒म॒हे॒ ॥१८ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:36» मन्त्र:18


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब कौन मनुष्य धर्मात्मा हो सकता है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (दृते) अविद्यारूपी अन्धकार के निवारक जगदीश्वर वा विद्वन् ! जिससे (सर्वाणि) सब (भूतानि) प्राणी (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (मा) मुझको (सम्, ईक्षन्ताम्) सम्यक् देखें (अहम्) मैं (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (सर्वाणि, भूतानि) सब प्राणियों को (समीक्षे) सम्यक् देखूँ, इस प्रकार सब हम लोग परस्पर (मित्रस्य) मित्र की (चक्षुषा) दृष्टि से (समीक्षामहे) देखें, इस विषय में हमको (दृंह) दृढ़ कीजिये ॥१८ ॥
भावार्थभाषाः - वे ही धर्मात्मा जन हैं, जो अपने आत्मा के सदृश सम्पूर्ण प्राणियों को मानें, किसी से भी द्वेष न करें और मित्र के सदृश सबका सदा सत्कार करें ॥१८ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ के धर्मात्मान इत्याह ॥

अन्वय:

(दृते) अविद्यान्धकारनिवारक जगदीश्वर विद्वन् वा (दृꣳह) दृढीकुरु (मा) माम् (मित्रस्य) सुहृदः (चक्षुषा) दृष्ट्या (सर्वाणि) (भूतानि) प्राणिनः (सम्) सम्यक् (ईक्षन्ताम्) प्रेक्षन्तां पश्यन्तु (मित्रस्य) (अहम्) (चक्षुषा) (सर्वाणि) (भूतानि) (सम्) (ईक्षे) पश्येयम् (मित्रस्य) (चक्षुषा) (सम्) (ईक्षामहे) पश्येम ॥१८ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे दृते ! येन सर्वाणि भूतानि मित्रस्य चक्षुषा मा समीक्षन्तामहं मित्रस्य चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे एवं वयं सर्वे परस्परान् मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे तत्रास्मान् दृंह ॥१८ ॥
भावार्थभाषाः - त एव धर्मात्मानो मनुष्या ये स्वात्मवत् सर्वान् प्राणिनो मन्येरन्, कञ्चिदपि न द्विषेयुर्मित्रवत् सर्वान् सदोपकुर्य्युरिति ॥१८ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे लोक आपल्या आत्म्याप्रमाणेच संपूर्ण प्राण्यांना मानतात तेच धार्मिक समजले जातात. ते कुणाचाही द्वेष करीत नाहीत व मित्राप्रमाणे सर्वांशी वागतात.