हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती
मनुष्यों को आभूषण आदि की रक्षा करनी चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥
संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती
मनुष्यैराभूषणादि रक्षणीयमित्याह ॥
(गावः) किरणा धेनवो वा (उप) समीपे (अवत) रक्षत (अवतम्) रक्षणीयं वेद्यादिगर्त्तम् (मही) महत्यौ द्यावापृथिव्यौ (यज्ञस्य) (रप्सुदा) ये रप्सुं रूपं दत्तस्ते (उभा) द्वे (कर्णा) कर्णौ श्रोत्रे (हिरण्यया) हिरण्यप्रचुरे ॥१९ ॥