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उप॒ प्रागा॒च्छस॑नं वा॒ज्यर्वा॑ देव॒द्रीचा॒ मन॑सा॒ दीध्या॑नः। अ॒जः पु॒रो नी॑यते॒ नाभि॑र॒स्यानु॑ प॒श्चात् क॒वयो॑ यन्ति रे॒भाः ॥२३ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

उप॑। प्र। अ॒गा॒त्। शस॑नम्। वा॒जी। अर्वा॑। दे॒व॒द्रीचा॑। मन॑सा। दीध्या॑नः। अजः॑। पु॒रः। नी॒य॒ते॒। नाभिः॑। अ॒स्य। अनु॑। प॒श्चात्। क॒वयः॑। य॒न्ति॒। रे॒भाः ॥२३ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:29» मन्त्र:23


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

कैसे विद्वान् हितैषी होते हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जो (दीध्यानः) सुन्दर प्रकाशमान हुआ (अजः) फेंकनेवाला (वाजी) वेगवान् (अर्वा) चालाक घोड़ा (देवद्रीचा) विद्वानों को प्राप्त होते हुए (मनसा) मन से (शसनम्) जिसमें हिंसा होती है, उस युद्ध को (उप, प्र, अगात्) अच्छे प्रकार समीप प्राप्त होता है। विद्वानों से (अस्य) इसका (नाभिः) मध्यभाग अर्थात् पीठ (पुरः) आगे (नीयते) प्राप्त की जाती अर्थात् उस पर बैठते हैं, उसको (पश्चात्) पीछे (रेभाः) सब विद्याओं की स्तुति करनेवाले (कवयः) बुद्धिमान् जन (अनु, यन्ति) अनुकूलता से प्राप्त होते हैं ॥२३ ॥
भावार्थभाषाः - जो विद्वान् लोग उत्तम विचार से घोड़ों को अच्छी शिक्षा दे और अग्नि आदि पदार्थों को सिद्ध कर ऐश्वर्य को प्राप्त होते हैं, वे जगत् के हितैषी होते हैं ॥२३ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

कीदृशा विद्वांसो हितैषिण इत्याह ॥

अन्वय:

(उप) सामीप्ये (प्र) (अगात्) गच्छन्ति (शसनम्) शंसन्ति हिंसन्ति यस्मिँस्तद्युद्धम् (वाजी) वेगवान् (अर्वा) गन्ताऽश्वः (देवद्रीचाः) देवानञ्चता प्राप्नुवता (मनसा) (दीध्यानः) दीप्यमानः सन् (अजः) क्षेपणशीलः (पुरः) (नीयते) (नाभिः) मध्यभागः (अस्य) (अनु) आनुकूल्ये (पश्चात्) (कवयः) मेधाविनः (यन्ति) प्राप्नुवन्ति (रेभाः) सर्वविद्यास्तोतारः। रेभ इति स्तोतृनामसु पठितम् ॥ (निघ०३.१६) ॥२३ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - यो दीध्यानोऽजो वाज्यर्वा देवद्रीचा मनसा शसनमुप प्रागात् विद्वद्भिरस्य नाभिः पुरो नीयते, तं पश्चात् रेभाः कवयः अनुयन्ति ॥२३ ॥
भावार्थभाषाः - ये विद्वांसो दिव्येन विचारेण तुरङ्गान् सुशिक्ष्याग्न्यादीन् संसाध्यैश्वर्यं प्राप्नुवन्ति, ते जगद्धितैषिणो भवन्ति ॥२३ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे विद्वान लोक उत्तम विचार करून घोड्यांना प्रशिक्षण देऊन अग्नी इत्यादी पदार्थांद्वारे ऐश्वर्य प्राप्त करतात ते जगाचे हितकर्ते असतात.