वांछित मन्त्र चुनें

ए॒ष छागः॑ पु॒रोऽअश्वे॑न वा॒जिना॑ पू॒ष्णो भा॒गो नी॑यते वि॒श्वदे॑व्यः। अ॒भि॒प्रियं॒ यत्पु॑रो॒डाश॒मर्व॑ता॒ त्वष्टेदे॑नꣳ सौश्रव॒साय॑ जिन्वति ॥२६ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

ए॒षः। छागः॑। पु॒रः। अश्वे॑न। वा॒जिना॑। पू॒ष्णः। भा॒गः। नी॒य॒ते॒। वि॒श्वदे॑व्य॒ इति॑ वि॒श्वऽदे॑व्यः॒। अ॒भि॒प्रिय॒मित्य॑भि॒ऽप्रिय॑म्। यत्। पु॒रो॒डाश॑म्। अर्व॑ता। त्वष्टा॑। इत्। ए॒नम्। सौ॒श्र॒व॒साय॑। जि॒न्व॒ति॒ ॥२६ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:25» मन्त्र:26


बार पढ़ा गया

हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर किस के साथ कौन पालना करने योग्य हैं, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - विद्वानों को चाहिये कि जो (एषः) यह (पुरः) प्रथम (विश्वदेव्यः) सब विद्वानों में उत्तम (पूष्णः) पुष्टि करनेवाले का (भागः) सेवने योग्य (छागः) पदार्थों को छिन्न-भिन्न करता हुआ प्राणी (वाजिना) वेगवान् (अश्वेन) घोड़े के साथ (नीयते) प्राप्त किया जाता और (यत्) जिस (अभिप्रियम्) सब ओर से मनोहर (पुरोडाशम्) पुरोडाश नामक यज्ञभाग को (अर्वता) पहुँचाते हुए घोड़े के साथ (त्वष्टा) पदार्थों को सूक्ष्म करनेवाला (एनम्) उक्त भाग को (सौश्रवसाय) उत्तम कीर्तिमान् होने के लिये (इत्) ही (जिन्वति) पाकर प्रसन्न होता है, वह सदैव पालने योग्य है ॥२६ ॥
भावार्थभाषाः - यदि अश्वादिकों के साथ अन्य बकरी आदि पशुओं को बढ़ावें तो वे मनुष्य सुख की उन्नति करें ॥२६ ॥
बार पढ़ा गया

संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनः केन सह के पालनीया इत्याह ॥

अन्वय:

(एषः) (छागः) छेदकः (पुरः) पुरस्तात् (अश्वेन) (वाजिना) (पूष्णः) पोषकस्य (भागः) सेवनीयः (नीयते) प्राप्यते (विश्वदेव्यः) विश्वेषु सर्वेषु देवेषु साधु (अभिप्रियम्) सर्वतः कमनीयम् (यत्) यम् (पुरोडाशम्) (अर्वता) गन्त्रा (त्वष्टा) तनूकर्त्ता (इत्) (एनम्) पूर्वोक्तम् (सौश्रवसाय) शोभनं श्रवः कीर्त्तिर्यस्य स सुश्रवास्तस्य भावाय (जिन्वति) प्रीणाति ॥२६ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - विद्वद्भिर्य एष पुरो विश्वदेव्यः पूष्णो भागश्छागो वाजिनाऽश्वेन सह नीयते, यदभिप्रियं पुरोडाशमर्वता सह त्वष्टैनं सौश्रवसायेज्जिन्वति स सदा पालनीयः ॥२६ ॥
भावार्थभाषाः - यद्यश्वादिभिः सहान्यानजादीन् पशून् वर्धयेयुस्तर्हि ते मनुष्याः सुखमुन्नयेयुः ॥२६ ॥
बार पढ़ा गया

मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जर अश्व वगैरे बरोबर शेळी इत्यादी इतर पशूंना बाळगले तर ती माणसे सुख वाढवितात.