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सोमा॑य ल॒बानाल॑भते॒ त्वष्ट्रे॑ कौली॒कान् गो॑षा॒दीर्दे॒वानां॒ पत्नी॑भ्यः कु॒लीका॑ देवजा॒मिभ्यो॒ऽग्नये॑ गृ॒हपत॑ये पारु॒ष्णान् ॥२४ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

सोमा॑य। ल॒बान्। आ। ल॒भ॒ते॒। त्वष्ट्रे॑। कौ॒ली॒कान्। गो॒षा॒दीः। गो॒सा॒दीरिति॑ गोऽसा॒दीः। दे॒वाना॑म्। पत्नी॑भ्यः। कु॒लीकाः। दे॒व॒जा॒मिभ्य॒ इति॑ देवऽजा॒मिभ्यः॑। अ॒ग्नये॑। गृ॒हप॑तय॒ इति॑ गृ॒हऽप॑तये। पा॒रु॒ष्णान् ॥२४ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:24» मन्त्र:24


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! जैसे पक्षियों का काम जाननेवाला जन (सोमाय) ऐश्वर्य के लिये (लबान्) बटेरों (त्वष्ट्रे) प्रकाश के लिये (कौलीकान्) कौलीक नाम के पक्षियों (देवानाम्) विद्वानों की (पत्नीभ्यः) स्त्रियों के लिये (गोसादीः) जो गौओं को मारती हैं, उन पखेरियों (देवजामिभ्यः) विद्वानों की बहिनियों के लिये (कुलीकाः) कुलीक नामक पखेरियों और (अग्नये) जो अग्नि के समान वर्त्तमान (गृहपतये) गृहपालन करनेवाला उस के लिये (पारुष्णान्) पारुष्ण पक्षियों को (आ, लभते) प्राप्त होता है, वैसे तुम भी प्राप्त होओ ॥२४ ॥
भावार्थभाषाः - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो मनुष्य पक्षियों के स्वभावज कामों को जानकर उनकी अनुहारि किया करते हैं, वे बहुश्रुत के समान होते हैं ॥२४ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(सोमाय) ऐश्वर्याय (लबान्) (आ) (लभते) (त्वष्ट्रे) प्रकाशकाय (कौलीकान्) पक्षिविशेषान् (गोसादीः) या गाः सादयन्ति हिंसन्ति ताः पक्षिणीः (देवानाम्) विदुषाम् (पत्नीभ्यः) स्त्रीभ्यः (कुलीकाः) पक्षिणीविशेषाः (देवजामिभ्यः) विदुषां भगिनीभ्यः (अग्नये) अग्निरिव वर्त्तमानाय (गृहपतये) गृहपालकाय (पारुष्णान्) पक्षिविशेषान् ॥२४ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! यथा पक्षिकर्मविज्जनः सोमाय लबाँस्त्वष्ट्रे कौलीकान् देवानां पत्नीभ्यो गोसादीर्देवजामिभ्यः कुलीका अग्नये गृहपतये पारुष्णानालभते, तथा यूयमप्यालभध्वम्। २४ ॥
भावार्थभाषाः - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये मनुष्याः पक्षिणां स्वभावजानि कर्माणि विदित्वा तदनुकरणं कुर्वन्ति, ते बहुश्रुतवद्भवन्ति ॥२४ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जी माण्से पक्ष्यांचे स्वभाव जाणून त्यांचे अनुकरण करतात ती बहुश्रुत बनतात.