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कोऽअ॒स्य वे॑द॒ भुव॑नस्य॒ नाभिं॒ को द्यावा॑पृथि॒वीऽअ॒न्तरि॑क्षम्। कः सूर्य॑स्य वेद बृह॒तो ज॒नित्रं॒ को वे॑द च॒न्द्रम॑सं यतो॒जाः ॥५९ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

कः। अ॒स्य॒। वे॒द॒। भुव॑नस्य। नाभि॑म्। कः। द्यावा॑पृथि॒वी इति॒ द्यावा॑पृथि॒वी। अ॒न्तरि॑क्षम्। कः। सूर्य॑स्य। वे॒द॒। बृ॒ह॒तः। ज॒नित्र॑म्। कः। वे॒द॒। च॒न्द्रम॑सम्। य॒तो॒जा इति॑ यतः॒ऽजाः ॥५९ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:23» मन्त्र:59


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर भी अगले मन्त्र में प्रश्नों को कहते हैं ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विद्वन् ! (अस्य) इस (भुवनस्य) सब के आधारभूत संसार के (नाभिम्) बन्धन के स्थान मध्यभाग को (कः) कौन (वेद) जानता (कः) कौन (द्यावापृथिवी) सूर्य और पृथिवी तथा (अन्तरिक्षम्) आकाश को जानता (कः) कौन (बृहतः) बड़े (सूर्यस्य) सूर्यमण्डल के (जनित्रम्) उपादान वा निमित्त कारण को (वेद) जानता और जो (यतोजाः) जिससे उत्पन्न हुआ है, उस चन्द्रमा के उत्पादक को और (चन्द्रमसम्) चन्द्रलोक को (कः) कौन (वेद) जानता है, इनका समाधान कीजिए ॥५९ ॥
भावार्थभाषाः - इस जगत् के धारणकर्त्ता, बन्धन, भूमि, सूर्य, अन्तरिक्षों, महान् सूर्य के कारण और चन्द्रमा जिससे उत्पन्न हुआ है, उसको कौन जानता है? इन चार प्रश्नों के उत्तर अगले मन्त्र में हैं, यह जानना चाहिये ॥५९ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनः प्रश्नानाह ॥

अन्वय:

(कः) (अस्य) (वेद) जानाति (भुवनस्य) सर्वाधिकरणस्य संसारस्य (नाभिम्) मध्यमाङ्गं बन्धनस्थानम् (कः) (द्यावापृथिवी) सूर्य्यभूमी (अन्तरिक्षम्) आकाशम् (कः) (सूर्यस्य) सवितृमण्डलस्य (वेद) जानाति (बृहतः) महतः (जनित्रम्) कारणं जनकं वा (कः) (वेद) (चन्द्रमसम्) चन्द्रलोकम् (यतोजाः) यस्माज्जातः ॥५९ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विद्वन्नस्य भुवनस्य नाभिं को वेद? को द्यावापृथिवी अन्तरिक्षं वेद? को बृहतः सूर्य्यस्य जनित्रं वेद? यो यतोजास्तं चन्द्रमसं च को वेद? इति समाधेहि ॥५९ ॥
भावार्थभाषाः - अस्य जगतो धारकं बन्धनं, भूमिसूर्यान्तरिक्षाणि महतः सूर्यस्य कारणं यस्मादुत्पन्नश्चन्द्रस्तं च को वेद? इति चतुर्णां प्रश्नानामुत्तराणि परस्मिन् मन्त्रे सन्तीति वेदितव्यम् ॥५९ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - या जगाच्या बंधनाच्या मध्य (मुख्य) स्थानाला कोण जाणतो? भूमी, सूर्य, आकाश यांना कोण जाणतो? सूर्यमंडळाच्या उपादान व निमित्त कारणाला कोण जाणतो? चंद्र ज्यांच्यामुळे उत्पन्न झालेला आहे त्याला कोण जाणतो? या चार प्रश्नांची उत्तरे पुढील मंत्रात आहेत. ते जाणा.