कः स्वि॑देका॒की च॑रति॒ कऽउ॑ स्विज्जायते॒ पुनः॑। किस्वि॑द्धि॒मस्य॑ भेष॒जं किम्वा॒वप॑नं म॒हत्॥४५ ॥
कः। स्वि॒त्। ए॒का॒की। च॒र॒ति॒। कः। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। स्वि॒त्। जा॒य॒ते॒। पुन॒रिति॒ पुनः॑। किम्। स्वि॒त्। हि॒मस्य॑। भे॒ष॒जम्। किम्। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। आ॒वप॑न॒मित्या॒ऽवप॑नम्। म॒हत्॥४५ ॥
हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती
अब विद्वानों के प्रति प्रश्न ऐसे करने चाहियें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥
संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती
अथ विदुषः प्रति प्रश्ना एवं कर्त्तव्या इत्याह ॥
(कः) (स्वित्) (एकाकी) असहायोऽद्वितीयः (चरति) प्राप्नोति (कः) (उ) (स्वित्) अपि (जायते) (पुनः) (किम्) (स्वित्) (हिमस्य) शीतस्य (भेषजम्) औषधम् (किम्) (उ) (आवपनम्) समन्तात्सर्वाधारम् (महत्) ॥४५ ॥