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कस्त्वाछ्य॑ति॒ कस्त्वा॒ विशा॑स्ति॒ कस्ते॒ गात्रा॑णि शम्यति। कऽउ॑ ते शमि॒ता क॒विः ॥३९ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

कः। त्वा॒। आछ्य॑ति। कः। त्वा॒। वि। शा॒स्ति॒। कः। ते॒। गात्रा॑णि। श॒म्य॒ति॒। कः। उँ॒ऽइत्यूँ॑। ते॒। श॒मि॒ता। क॒विः ॥३९ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:23» मन्त्र:39


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर पढ़ानेवाले विद्यार्थियों की कैसी परीक्षा लेवें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे पढ़नेवाले विद्यार्थिजन ! (त्वा) तुझे (कः) कौन (आछ्यति) छेदन करता (कः) कौन (त्वा) तुझे (विशास्ति) अच्छा सिखाता (कः) कौन (ते) तेरे (गात्राणि) अङ्गों को (शम्यति) शान्ति पहुँचाता और (कः) कौन (उ) तो (ते) तेरा (शमिता) यज्ञ करनेवाला (कविः) समस्त शास्त्र को जानता हुआ पढ़ाने हारा है ॥३९ ॥
भावार्थभाषाः - अध्यापक लोग पढ़नेवालों के प्रति ऐसे परीक्षा में पूछें कि कौन तुम्हारे पढ़ने को काटते अर्थात् पढ़ने में विघ्न करते? कौन तुम को पढ़ने के लिए उपदेश देते हैं? कौन अङ्गों की शुद्धि और योग्य चेष्टा को जनाते हैं? कौन पढ़ानेवाला है? क्या पढ़ा? क्या पढ़ने योग्य है? ऐसे-ऐसे पूछ उत्तम परीक्षा कर उत्तम विद्यार्थियों को उत्साह देकर दुष्ट स्वभाववालों को धिक्कार दे के विद्या की उन्नति करावें ॥३९ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनरध्यापका विद्यार्थिनां कीदृशीं परीक्षां गृह्णीयुरित्याह ॥

अन्वय:

(कः) (त्वा) त्वाम् (आछ्यति) समन्ताच्छिनत्ति (कः) (त्वा) त्वाम् (वि) (शास्ति) विशेषेणोपदिशति (कः) (ते) तव (गात्राणि) अङ्गानि (शम्यति) शाम्यति शमं प्रापयति अत्र ‘वा छन्दसी’ति दीर्घत्वाभावः। (कः) (उ) वितर्के (ते) तव (शमिता) यज्ञस्य कर्त्ता (कविः) सर्वशास्त्रवित्॥३९ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे अध्येतस्त्वा त्वां क आछ्यति कस्त्वा विशास्ति कस्ते गात्राणि शम्यति क उ ते शमिता कविरध्यापकोऽस्ति ॥३९ ॥
भावार्थभाषाः - अध्यापका अध्येतॄन् प्रत्येवं परीक्षायां पृच्छेयुः के युष्माकमध्ययनं छिन्दन्ति? के युष्मानध्ययनायोपदिशन्ति? केऽङ्गानां शुद्धिं योग्यां चेष्टां च ज्ञापयन्ति? कोऽध्यापकोऽस्ति? किमधीतम्? किमध्येतव्यमस्ति? इत्यादि पृष्ट्वा सुपरीक्ष्योत्तमानुत्साह्याधमान् धिक्कृत्वा विद्यामुन्नयेयुः ॥३९ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - अध्यापकांनी विद्यार्थ्यांना परीक्षेमध्ये असे प्रश्न विचारावेत की, तुमच्या शिक्षणात कुणामुळे अडथळा येतो? शिकण्याचा उपदेश कोण करतो? शरीराची स्वच्छता करावी व योग्य प्रयत्न करावे? असे कोण सांगते? कोण शिकविणारा आहे? काय शिकलात? व काय शिकण्यायोग्य आहे? असे निरनिराळे प्रश्न विचारून चांगली परीक्षा घ्यावी व चांगल्या विद्यार्थ्यांना उत्साहित करावे. दुष्ट स्वभावाच्या व्यक्तींचा धिक्कार करावा व विद्येची वाढ करावी.