वांछित मन्त्र चुनें

नार्य॑स्ते॒ पत्न्यो॒ लोम॒ विचि॑न्वन्तु मनी॒षया॑। दे॒वानां॒ पत्न्यो॒ दिशः॑ सू॒चीभिः॑ शम्यन्तु त्वा ॥३६ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

नार्य्यः॑। ते॒। पत्न्यः॑। लोम॑। वि। चि॒न्व॒न्तु॒। म॒नी॒षया॑। दे॒वाना॑म्। पत्न्यः॑। दिशः॑। सू॒चीभिः॑। श॒म्य॒न्तु॒। त्वा॒ ॥३६ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:23» मन्त्र:36


बार पढ़ा गया

हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अब कन्या कितना ब्रह्मचर्य करें, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे पण्डिता पढ़ानेवाली विदुषी स्त्री ! जो कुमारी (मनीषया) तीक्ष्ण बुद्धि से (ते) तेरी (लोम) अनुकूल आज्ञा को (विचिन्वन्तु) इकट्ठा करें वे (देवानाम्) पण्डितों की (नार्य्यः, पत्न्यः) पण्डितानी हों। हे कुमारी ! जो पण्डितों की (पत्न्यः) पण्डितानी होके (सूचीभिः) मिलाप की क्रियाओं से (दिशः) दिशाओं के समान शुद्ध पाकविद्या पढ़ी हुई हैं, वे (त्वा) तुझे (शम्यन्तु) शान्ति और ज्ञान दें ॥३६ ॥
भावार्थभाषाः - जो कन्या प्रथम अवस्था में सोलह वर्ष की अवस्था से चौबीस वर्ष की अवस्था तक ब्रह्मचर्य से विद्या उत्तम शिक्षा को पाकर अपने सदृश पुरुषों की पत्नी हों, वे दिशाओं के समान उत्तम प्रकाशयुक्त कीर्तिवाली हों ॥३६ ॥
बार पढ़ा गया

संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अथ कन्याः कियद् ब्रह्मचर्यं कुर्युरित्याह ॥

अन्वय:

(नार्य्यः) नराणां स्त्रियः (ते) तव (पत्न्यः) स्त्रियः (लोम) अनुकूलं वचनम् (वि) (चिन्वन्तु) सञ्चितं कुर्वन्तु (मनीषया) मनस ईषणकर्त्र्या प्रज्ञया (देवानाम्) विदुषाम् (पत्न्यः) स्त्रियः (दिशः) (सूचीभिः) अनुसंधानक्रियाभिः (शम्यन्तु) (त्वा) त्वाम् ॥३६ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे विदुष्यध्यापिके ! याः कुमार्य्यो मनीषया ते लोम विचिन्वन्तु ता देवानां नार्य्यः पत्न्यो भवन्तु। हे कुमारि ! या देवानां पत्न्यो भूत्वा सूचीभिः दिश इव शुद्धा विदुष्यः सन्ति तास्त्वा त्वां शम्यन्तु ॥३६ ॥
भावार्थभाषाः - याः कन्या आद्ये वयसि आषोडशादाचतुर्विंशद्वर्षब्रह्मचर्य्येण विद्यासुशिक्षाः प्राप्य स्वसदृशानां पत्न्यः स्युस्ताः दिश इव सुप्रकाशितकीर्त्तयो भवन्ति ॥३६ ॥
बार पढ़ा गया

मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - ज्या कन्या सोळा वर्षांपासून चोवीस वर्षांपर्यंत ब्रह्मचर्य पाळून विद्या व उत्तम शिक्षण प्राप्त करतात व आपल्यासारख्याच पुरुषांच्या पत्नी बनतात. त्या दिशांप्रमाणे सर्वत्र प्रकाशित व कीर्तिमान होतात.