य॒ते स्वाहा॒ धाव॑ते॒ स्वाहो॑द्द्रा॒वाय॒ स्वाहोद्द्रु॑ताय॒ स्वाहा॑ शूका॒राय॒ स्वाहा॒ शूकृ॑ताय॒ स्वाहा॒ निष॑ण्णाय॒ स्वाहोत्थि॑ताय॒ स्वाहा॑ ज॒वाय॒ स्वाहा॒ बला॑य॒ स्वाहा॑ वि॒वर्त्त॑मानाय॒ स्वाहा॒ विवृ॑त्ताय॒ स्वाहा॑ विधून्वा॒नाय॒ स्वाहा॒ विधू॑ताय॒ स्वाहा॒ शुश्रू॑षमाणाय॒ स्वाहा॑ शृण्व॒ते स्वाहेक्ष॑माणाय॒ स्वाहे॑क्षि॒ताय॒ स्वाहा॒ वीक्षिताय॒ स्वाहा॑ निमे॒षाय॒ स्वाहा॒ यदत्ति॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ यत्पिब॑ति॒ तस्मै॒ स्वाहा॒ यन्मूत्रं॑ क॒रोति॒ तस्मै॒ स्वाहा॑ कुर्व॒ते स्वाहा॑ कृ॒ताय॒ स्वाहा॑ ॥८ ॥
य॒ते। स्वाहा॑। धाव॑ते। स्वाहा॑। उ॒द्द्रा॒वायेत्यु॑त्ऽद्रा॒वाय॑। स्वाहा॑। उद्द्रु॑ता॒येत्युत्ऽद्रु॑ताय। स्वाहा॑। शू॒का॒राय॑। स्वाहा॑। शूकृ॑ताय। स्वाहा॑। निष॑ण्णाय। निस॑न्ना॒येति॒ निऽस॑न्नाय। स्वाहा॑। उत्थि॑ताय। स्वाहा॑। ज॒वाय॑। स्वाहा॑। बला॑य। स्वाहा॑। वि॒वर्त्त॑माना॒येति॑ वि॒ऽवर्त्त॑मानाय। स्वाहा॑। विवृ॑त्तायेति॒ विऽवृ॑त्ताय। स्वाहा॑। वि॒धू॒न्वा॒नायेति॑ विधून्वा॒नाय॑। स्वाहा॑। विधू॑ता॒येति॒ विऽधूता॒य। स्वाहा॑। शुश्रू॑षमाणाय। स्वाहा॑। शृ॒ण्व॒ते। स्वाहा॑। ईक्ष॑माणाय। स्वाहा॑। ई॒क्षि॒ताय॑। स्वाहा॑। वीक्षि॑ता॒येति॒ विऽईक्षि॑ताय। स्वाहा॑। नि॒मे॒षायेति॑ निऽमे॒षाय॑। स्वाहा॑। यत्। अत्ति॑। तस्मै॑। स्वाहा॑। यत्। पिब॑ति। तस्मै॑। स्वाहा॑। यत्। मूत्र॑म्। क॒रोति॑। तस्मै॑। स्वाहा॑। कु॒र्वते॑। स्वाहा॑। कृ॒ताय॑। स्वाहा॑ ॥८ ॥
हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥
संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
(यते) प्रयतमानाय (स्वाहा) सत्क्रिया (धावते) (स्वाहा) (उद्द्रावाय) ऊर्ध्वं गताय द्रवीभूताय (स्वाहा) (उद्द्रुताय) उत्कर्षं गताय (स्वाहा) (शूकाराय) क्षिप्रकारिणे (स्वाहा) (शूकृताय) क्षिप्रकृताय (स्वाहा) (निषण्णाय) निश्चयेन स्थिताय (स्वाहा) (उत्थिताय) कृतोत्थानाय (स्वाहा) (जवाय) वेगाय (स्वाहा) (बलाय) (स्वाहा) (विवर्त्तमानाय) विशेषेण वर्त्तमानाय (स्वाहा) (विवृत्ताय) विविधतया कृतवर्त्तमानाय (स्वाहा) (विधून्वानाय) यो विविधं धुनोति तस्मै (स्वाहा) (विधूताय) येन विविधं धूतं कम्पितं तस्मै (स्वाहा) (शुश्रूषमाणाय) श्रोतुमिच्छते (स्वाहा) (शृण्वते) यः शृणोति तस्मै (स्वाहा) (ईक्षमाणाय) दर्शकाय (स्वाहा) (ईक्षिताय) अन्येन दृष्टाय (स्वाहा) (वीक्षिताय) विशेषेण कृतदर्शनाय (स्वाहा) (निमेषाय) (स्वाहा) (यत्) (अत्ति) भक्षयति (तस्मै) (स्वाहा) (यत्) (पिबति) (तस्मै) (स्वाहा) (यत्) (मूत्रम्) (करोति) (तस्मै) (स्वाहा) (कुर्वते) (स्वाहा) (कृताय) (स्वाहा) ॥८ ॥