हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती
फिर सूर्यरूप अग्नि कैसा है, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥
संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती
पुनः सूर्यरूपोऽग्निः कीदृश इत्याह ॥
(अजीजनः) जनयति (हि) खलु (पवमान) पवित्रकारक (सूर्यम्) सवितृमण्डलम् (विधारे) धारयामि (शक्मना) कर्मणा। शक्मेति कर्मनाम ॥ (निघं०२.१) (पयः) उदकम् (गोजीरया) गवां जीरया जीवनक्रियया (रंहमाणः) गच्छन् (पुरन्ध्या) यया पुरं दधाति तया ॥१८ ॥