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अ॒श्विना॒ गोभि॑रिन्द्रि॒यमश्वे॑भिर्वी॒र्यं᳕ बल॑म्। ह॒विषेन्द्र॒ꣳ सर॑स्वती॒ यज॑मानमवर्द्धयन् ॥७३ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒श्विना॑। गोभिः॑। इ॒न्द्रि॒यम्। अश्वे॑भिः। वी॒र्य्य᳕म्। बल॑म्। ह॒विषा॑। इन्द्र॑म्। सर॑स्वती। यज॑मानम्। अ॒व॒र्द्ध॒य॒न् ॥७३ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:20» मन्त्र:73


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - (अश्विना) अध्यापक, उपदेशक और (सरस्वती) सुशिक्षायुक्त विदुषी स्त्री (गोभिः) अच्छे प्रकार शिक्षायुक्त वाणी वा पृथिवी और गौओं तथा (अश्वेभिः) अच्छे प्रकार शिक्षा पाये हुए घोड़ों और (हविषा) अङ्गीकार किये हुए पुरुषार्थ से (इन्द्रियम्) धन (वीर्यम्) पराक्रम (बलम्) बल और (इन्द्रम्) ऐश्वर्ययुक्त (यजमानम्) सत्य अनुष्ठानरूप यज्ञ करनेहारे को (अवर्द्धयन्) बढ़ावें ॥७३ ॥
भावार्थभाषाः - जो लोग जिनके समीप रहें उनको योग्य है कि वे उनको सब अच्छे गुण कर्मों और ऐश्वर्य आदि से उन्नति को प्राप्त करें ॥७३ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(अश्विना) अध्यापकोपदेशकौ (गोभिः) सुशिक्षिताभिर्वाणीभिः पृथिवीधेनुभिर्वा (इन्द्रियम्) धनम् (अश्वेभिः) सुशिक्षितैस्तुरङ्गादिभिः (वीर्यम्) पराक्रमम् (बलम्) (हविषा) उपादत्तेन पुरुषार्थेन (इन्द्रम्) ऐश्वर्ययुक्तम् (सरस्वती) सुशिक्षिता विदुषी स्त्री (यजमानम्) सत्यानुष्ठानस्य यज्ञस्य कर्त्तारम् (अवर्द्धयन्) ॥७३ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - अश्विना सरस्वती च गोभिरश्वेभिर्हविषेन्द्रियं वीर्यं बलमिन्द्रं यजमानमवर्द्धयन् ॥७३ ॥
भावार्थभाषाः - ये येषां समीपे निवसेयुस्तेषां योग्यतास्ति, ते तान् सर्वैः शुभगुणकर्मभिरैश्वर्यादिना च समुन्नयेयुः ॥७३ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे लोक ज्या व्यक्तीजवळ राहतात. त्यांनी त्या लोकांना चांगले गुण, कर्म, स्वभाव व ऐश्वर्य इत्यादींनी उन्नत करावे.