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आ नऽइन्द्रो॒ हरि॑भिर्या॒त्वच्छा॑र्वाची॒नोऽव॑से॒ राध॑से च। तिष्ठा॑ति व॒ज्री म॒घवा॑ विर॒प्शीमं य॒ज्ञमनु॑ नो॒ वाज॑सातौ ॥४९ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

आ। नः॒। इन्द्रः॑। हरि॑भि॒रिति॒ हरि॑ऽभिः। या॒तु॒। अच्छ॑। अ॒र्वा॒ची॒नः। अव॑से। राध॑से। च॒। तिष्ठा॑ति। व॒ज्री। म॒घवेति म॒घऽवा॑। वि॒र॒प्शीति॑ विऽर॒प्शी। इ॒मम्। य॒ज्ञम्। अनु॑। नः॒। वाज॑साता॒विति॒ वाज॑ऽसातौ ॥४९ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:20» मन्त्र:49


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जो (मघवा) परम प्रशंसित धनयुक्त (विरप्शी) महान् (अर्वाचीनः) विद्यादि बल से सन्मुख जानेवाला (वज्री) प्रशंसित शस्त्रविद्या की शिक्षा पाये हुए (इन्द्रः) ऐश्वर्य का दाता सेनाधीश (हरिभिः) अच्छी शिक्षा किये हुए घोड़ों से (नः) हम लोगों की (अवसे) रक्षा आदि के लिये (च) और (राधसे) धन के लिये (वाजसातौ) संग्राम में (अनु, तिष्ठाति) अनुकूल स्थित हो, वह (नः) हमारे (इमम्) इस (यज्ञम्) सत्यन्याय पालन करने रूप राज्यव्यवहार को (अच्छ, आ, यातु) अच्छे प्रकार प्राप्त हो ॥४९ ॥
भावार्थभाषाः - जो युद्धविद्या में कुशल बड़े बलवान्, प्रजा और धन की वृद्धि करनेहारे, उत्तम शिक्षा युक्त, हाथी और घोड़ों से युक्त कल्याण ही के आचरण करनेहारे हों, वे ही राजपुरुष होवें ॥४९ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(आ) (नः) अस्माकम् (इन्द्रः) ऐश्वर्यप्रदः सेनाधीशः (हरिभिः) सुशिक्षितैरश्वैः (यातु) प्राप्नोतु (अच्छ) सुष्ठु रीत्या (अर्वाचीनः) विद्यादिबलेनाभिगन्ता (अवसे) रक्षणाद्याय (राधसे) धनाय (च) (तिष्ठाति) तिष्ठेत् (वज्री) प्रशस्तशस्त्रविद्याशिक्षितः (मघवा) परमपूजितधनयुक्तः (विरप्शी) महान् (इमम्) (यज्ञम्) सत्यं न्यायाख्यम् (अनु) आनुकूल्ये (नः) अस्माकम् (वाजसातौ) संग्रामे ॥४९ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - यो मघवा विरप्श्यर्वाचीनो वज्रीन्द्रो हरिभिर्नोवसे राधसे च वाजसातौ तिष्ठाति, स न इमं यज्ञमच्छान्वायातु ॥४९ ॥
भावार्थभाषाः - ये युद्धविद्याकुशला महाबलिष्ठाः प्रजाधनवर्द्धकास्सुशिक्षिताऽश्वहस्त्यादियुक्ता मङ्गलकारिणस्स्युस्ते हि राजपुरुषास्सन्तु ॥४९ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे युद्धात पारंगत असून, अत्यंत बलवान असतात. प्रजा व धन यांची वृद्धी करून प्रशिक्षित हत्ती व घोडे बाळगून असतात, तसेच ज्यांचे आचरण कल्याणकारक असते त्यांनीच राजपुरुष बनावे.