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लोमा॑नि॒ प्रय॑ति॒र्मम॒ त्वङ् म॒ऽआन॑ति॒राग॑तिः। मा॒सं म॒ऽउप॑नति॒र्वस्वस्थि॑ म॒ज्जा म॒ऽआन॑तिः ॥१३ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

लोमा॑नि। प्रय॑ति॒रिति॒ प्रऽय॑तिः। मम॑। त्वक्। मे॒। आन॑ति॒रि॒त्याऽन॑तिः। आग॑ति॒रित्याऽग॑तिः। मा॒सम्। मे॒। उप॑नति॒रित्युप॑ऽनतिः। वसु॑। अस्थि॑। म॒ज्जा। मे॒। आन॑ति॒रित्याऽन॑तिः ॥१३ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:20» मन्त्र:13


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर भी उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे अध्यापक और उपदेशक लोगो ! जैसे (मम) मेरे (लोमानि) रोम वा (प्रयतिः) जिससे प्रयत्न करते हैं वा (मे) मेरी (त्वक्) त्वचा (आनतिः) वा जिससे सब ओर से नम्र होते हैं, (मांसस्) मांस वा (आगतिः) आगमन तथा (मे) मेरा (वसु) द्रव्य (उपनतिः) वा जिससे नम्र होते हैं (मे) मेरे (अस्थि) हाड़ और (मज्जा) हाड़ों के बीच का पदार्थ (आनतिः) वा अच्छे प्रकार नमन होता हो, वैसे तुम लोग प्रयत्न किया करो ॥१३ ॥
भावार्थभाषाः - अध्यापक, उपदेशक लोगों को इस प्रकार प्रयत्न करना चाहिये कि जिससे सुशिक्षायुक्त सब पुरुष और सब कन्या सुन्दर अङ्ग और स्वभाववाले दृढ़, बलयुक्त, धार्मिक विद्याओं से युक्त होवें ॥१३ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(लोमानि) रोमाणि (प्रयतिः) प्रयतन्ते यया सा (मम) (त्वक्) (मे) (आनतिः) आनमन्ति यया सा (आगतिः) आगमनम् (मांसम्) (मे) (उपनतिः) उपनमन्ति यया सा (वसु) द्रव्यम् (अस्थि) (मज्जा) (मे) (आनतिः) समन्तात् नमनम् ॥१३ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे अध्यापकोपदेशकाः ! यथा मम लोमानि प्रयतिर्मे त्वगानतिर्मांसमागतिर्मे वसूपनतिर्मेऽस्थि मज्जा चानतिः स्यात् तथा यूयं प्रयतध्वम् ॥१३ ॥
भावार्थभाषाः - अध्यापकोपदेशकैरेवं प्रयतितव्यं यतः सुशिक्षया युक्ताः सर्वे पुरुषाः सर्वाः कन्याश्च सुन्दराङ्गस्वभावा दृढबला धार्मिका विद्यायुक्ताः स्युरिति ॥१३ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - अध्यापक व उपदेशक यांनी याप्रकारे प्रयत्न करावा की, ज्यामुळे सर्व पुरुष सुशिक्षित, मुली सुंदर अंगाच्या, स्वभावाने दृढ, बलवान व धार्मिक विद्यांनीयुक्त व्हाव्यात.