वांछित मन्त्र चुनें

अ॒र्ध॒ऽऋ॒चैरु॒क्थाना॑ रू॒पं प॒दैरा॑प्नोति नि॒विदः॑। प्र॒ण॒वैः श॒स्त्राणा॑ रू॒पं पय॑सा॒ सोम॑ऽआप्यते ॥२५ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒र्द्ध॒ऽऋ॒चैरित्य॑र्द्धऽऋ॒चैः। उ॒क्थाना॑म्। रू॒पम्। प॒दैः। आ॒प्नो॒ति॒। नि॒विद॒ इति॑ नि॒ऽविदः॑। प्र॒ण॒वैः। प्र॒न॒वैरिति॑ प्रऽन॒वैः। श॒स्त्राणा॑म्। रू॒पम्। पय॑सा। सोमः॑। आ॒प्य॒ते॒ ॥२५ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:19» मन्त्र:25


बार पढ़ा गया

हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

अध्यापकों को कैसा होना चाहिये, इस विषय का उपदेश अगले मन्त्र में किया है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - जो विद्वान् (अर्द्धऽऋचैः) ऋचाओं के अर्ध भागों से (उक्थानाम्) कथन करने योग्य वैदिक स्तोत्रों का (रूपम्) स्वरूप (पदैः) सुबन्त-तिङन्त पदों और (प्रणवैः) ओंकारों से (शस्त्राणाम्) शस्त्रों का (रूपम्) स्वरूप और (निविदः) जो निश्चय से प्राप्त होते हैं, उनको (आप्नोति) प्राप्त होता है वा जिस विद्वान् से (पयसा) जल के साथ (सोमः) सोम ओषधि का रस (आप्यते) प्राप्त होता है, सो वेद का जाननेवाला कहाता है ॥२५ ॥
भावार्थभाषाः - जो विद्वान् के समीप वस के, पढ़ के, वेदस्थ पद-वाक्य-मन्त्र-विभागों के शब्द-अर्थ और सम्बन्धों का यथावद्विज्ञान करते हैं, वे इस संसार में अध्यापक होते हैं ॥२५ ॥
बार पढ़ा गया

संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

कथमध्यापकैर्भवितव्यमित्युपदिश्यते ॥

अन्वय:

(अर्द्धऽऋचैः) ऋचामर्द्धान्यर्द्धर्चास्तैर्मन्त्रभागैः (उक्थानाम्) स्तोत्रविशेषाणाम् (रूपम्) (पदैः) विभक्त्यन्तैः (आप्नोति) (निविदः) ये निश्चयेन विन्दन्ति तान् (प्रणवैः) ओङ्कारैः (शस्त्राणाम्) शसन्ति यैस्तेषाम् (रूपम्) (पयसा) उदकेन (सोमः) रसविशेषः (आप्यते) प्राप्यते ॥२५ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - यो विद्वानर्द्धऽऋचैरुक्थानां रूपं पदैः प्रणवैः शस्त्राणां रूपं निविदश्चाप्नोति, येन विदुषा पयसा सोम आप्यते, स वेदवित् कथ्यते ॥२५ ॥
भावार्थभाषाः - ये विदुषः सकाशादधीत्य वेदस्थानां पदवाक्यमन्त्रविभागशब्दार्थसम्बन्धानां यथार्थं विज्ञानं कुर्वन्ति, तेऽत्राऽध्यापका भवन्ति ॥२५ ॥
बार पढ़ा गया

मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जे विद्वानांजवळ राहून अध्ययन करतात व वेदातील पद, वाक्य, मंत्र विभागाचे शब्द अर्थ व संबंधाचे स्वरूप विशेष ज्ञानाने यथायोग्यरीत्या जाणतात ते अध्यापक म्हणून ओळखले जातात.