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यो नः॑ पि॒ता ज॑नि॒ता यो वि॑धा॒ता धामा॑नि॒ वेद॒ भुव॑नानि॒ विश्वा॑। यो दे॒वानां॑ नाम॒धाऽएक॑ऽए॒व तꣳ स॑म्प्र॒श्नं भुव॑ना यन्त्य॒न्या ॥२७ ॥

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पद पाठ

यः। नः॒। पि॒ता। ज॒नि॒ता। यः। वि॒धा॒तेति॑ विऽधा॒ता। धामा॑नि। वेद॑। भुव॑नानि। विश्वा॑। यः। दे॒वाना॑म्। ना॒म॒धा इति॑ नाम॒ऽधाः। एकः॑। ए॒व। तम्। स॒म्प्र॒श्नमिति॑ सम्ऽप्र॒श्नम्। भुव॑ना। य॒न्ति॒। अ॒न्या ॥२७ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:17» मन्त्र:27


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

फिर भी उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्यो ! (यः) जो (नः) हमारा (पिता) पालन और (जनिता) सब पदार्थों का उत्पादन करनेहारा तथा (यः) जो (विधाता) कर्मों के अनुसार फल देने तथा जगत् का निर्माण करनेवाला (विश्वा) समस्त (भुवनानि) लोकों और (धामानि) जन्म, स्थान वा नाम को (वेद) जानता (यः) जो (देवानाम्) विद्वानों वा पृथिवी आदि पदार्थों का (नामधाः) अपनी विद्या से नाम धरनेवाला (एकः) एक अर्थात् असहाय (एव) ही है, जिसको (अन्या) और (भुवना) लोकस्थ पदार्थ (यन्ति) प्राप्त होते जाते हैं, (सम्प्रश्नम्) जिसके निमित्त अच्छे प्रकार पूछना हो, (तम्) उसको तुम लोग जानो ॥२७ ॥
भावार्थभाषाः - जो पिता के तुल्य समस्त विश्व का पालने और सब को जाननेहारा एक परमेश्वर है, उसके और उसकी सृष्टि के विज्ञान से ही सब मनुष्य परस्पर मिल के प्रश्न और उत्तर करें ॥२७ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

अन्वय:

(यः) (नः) अस्माकम् (पिता) पालकः (जनिता) सर्वेषां पदार्थानां प्रादुर्भावयिता (यः) (विधाता) कर्मानुसारेण फलप्रदाता जगन्निर्माता (धामानि) जन्मस्थाननामानि (वेद) जानाति (भुवनानि) सर्वपदार्थाधिकरणानि (विश्वा) सर्वाणि (यः) (देवानाम्) विदुषां पृथिव्यादीनां वा (नामधाः) य स्वविद्यया नामानि दधाति (एकः) अद्वितीयोऽसहायः (एव) (तम्) (सम्प्रश्नम्) सम्यक् पृच्छति यस्मिँस्तम् (भुवना) लोकस्थपदार्थान् (यन्ति) प्राप्नुवन्ति गच्छन्ति वा (अन्या) अन्यानि भुवनस्थानि ॥२७ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे मनुष्याः ! यो नः पिता जनिता यो विधाता विश्वा भुवनानि धामानि वेद। यो देवानां नामधा एक एवास्ति, यमन्या भुवना यन्ति, सम्प्रश्नं तं यूयं जानीत ॥२७ ॥
भावार्थभाषाः - यः सर्वस्य विश्वस्य पितृवत् पालकः सर्वज्ञोऽद्वितीयः परमेश्वरो वर्त्तते, तस्य तत्सृष्टेश्च विज्ञानेनैव सर्वे मनुष्याः परस्परं मिलित्वा प्रश्नोत्तराणि कुर्वन्तु ॥२७ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - जो पित्याप्रमाणे सर्व विश्वाचा पालनकर्ता व सर्वांचा ज्ञाता आहे अशा परमेश्वराला त्याने निर्माण केलेल्या सृष्टिविज्ञानाच्या आधारेच सर्व माणसांनी परस्परांशी संवाद (प्रश्नोत्तर) करून जाणून घ्यावे.