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अ॒व॒तत्य॒ धनु॒ष्ट्व सह॑स्राक्ष॒ शते॑षुधे। नि॒शीर्य॑ श॒ल्यानां॒ मुखा॑ शि॒वो नः॑ सु॒मना॑ भव ॥१३ ॥

मन्त्र उच्चारण
पद पाठ

अ॒व॒तत्येत्य॑व॒ऽतत्य॑। धनुः॑। त्वम्। सह॑स्रा॒क्षेति॒ सह॑स्रऽअक्ष। शते॑षुध॒ इति॒ शत॑ऽइषुधे। नि॒शीर्य्येति॑ नि॒ऽशीर्य॑। श॒ल्याना॑म्। मुखा॑। शि॒वः। नः॒। सु॒मना॒ इति॑ सु॒ऽमनाः॑। भ॒व॒ ॥१३ ॥

यजुर्वेद » अध्याय:16» मन्त्र:13


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हिन्दी - स्वामी दयानन्द सरस्वती

राजपुरुषों को कैसा होना चाहिये, यह विषय अगले मन्त्र में कहा है ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे (सहस्राक्ष) असंख्य युद्ध के कार्यों को देखने हारे (शतेषुधे) शस्त्र-अस्त्रों के असंख्य प्रकाश से युक्त सेना के अध्यक्ष पुरुष ! (त्वम्) तू (धनुः) धनुष् और (शल्यानाम्) शस्त्रों के (मुखा) अग्रभागों का (अवतत्य) विस्तार कर तथा उनसे शत्रुओं को (निशीर्य) अच्छे प्रकार मारके (नः) हमारे लिये (सुमनाः) प्रसन्नचित्त (शिवः) मङ्गलकारी (भव) हूजिये ॥१३ ॥
भावार्थभाषाः - राजपुरुष साम, दाम, दण्ड और भेदादि राजनीति के अवयवों के कृत्यों को सब ओर से जान, पूर्ण शस्त्र-अस्त्रों का सञ्चय कर और उनको तीक्ष्ण करके शत्रुओं में कठोरचित्त दुःखदायी और अपनी प्रजाओं में कोमलचित्त सुख देनेवाले निरन्तर हों ॥१३ ॥
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संस्कृत - स्वामी दयानन्द सरस्वती

राजपुरुषैः कथं भवितव्यमित्याह ॥

अन्वय:

(अवतत्य) विस्तार्य्य (धनुः) चापम् (त्वम्) (सहस्राक्ष) सहस्रेष्वसंख्यातेषु युद्धकार्येक्षिणी यस्य तत्सम्बुद्धौ (शतेषुधे) शतमसंख्याः शस्त्रास्त्रप्रकाशा यस्य तत्सम्बुद्धौ (निशीर्य) नितरां हिंसित्वा (शल्यानाम्) शस्त्राणां (मुखा) मुखानि (शिवः) मङ्गलकारी (नः) अस्मभ्यम् (सुमनाः) सुहृद्भावः (भव) ॥१३ ॥

पदार्थान्वयभाषाः - हे सहस्राक्ष शतेषुधे सेनाध्यक्ष ! त्वं धनुः शल्यानां मुखा चावतत्य तैः शत्रून्निशीर्य नः सुमनाः शिवो भव ॥१३ ॥
भावार्थभाषाः - राजपुरुषाः सामदामदण्डभेदादिराजनीत्यवयवकृत्यानि सर्वतो विदित्वा पूर्णानि शस्त्रास्त्राणि सम्पाद्य तीक्ष्णीकृत्य च शत्रुषु दुर्मनसः दुःखप्रदाः प्रजासु सोम्याः सुखप्रदाश्च सततं स्युः ॥१३ ॥
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मराठी - माता सविता जोशी

(यह अनुवाद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी के आधार पर किया गया है।)
भावार्थभाषाः - राजपुरुषांनी साम, दाम, दंड, भेद इत्यादी राजनीतीचा प्रकार जाणून अस्त्रशस्त्रांचा संचय करावा व त्यांना तीक्ष्ण करावे. शत्रूंशी कठोरपणाने वागून त्यांना दुःखी करावे व आपल्या प्रजेशी कोमल चित्ताने वागून त्यांना सुखी करावे.